India News (इंडिया न्यूज़), Shani Dev Wife: शनि देव, जिन्हें शनिदेव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में न्याय और कर्म के देवता माने जाते हैं। उनकी पत्नी का नाम “नीला” (नीलादेवी) है। उनके विवाह और उनके जीवन से जुड़ी कथाए हैं जो हमें सुनने को मिलती रहती हैं चलिए आज एक कथा आपको हम भी सुनाये देते हैं।
शनि देव का विवाह सूर्य देव की पत्नी संज्ञा (छाया) द्वारा सुझाई गई एक सुंदर और धार्मिक स्त्री नीला से हुआ था। नीला बहुत ही सुंदर, विनम्र और धार्मिक प्रवृत्ति की थी। वह अपने पति शनि देव के प्रति बहुत निष्ठावान और समर्पित थी। लेकिन, शनि देव अपने तपस्या में इतने लीन रहते थे कि वे अपनी पत्नी की ओर ध्यान नहीं दे पाते थे।
एक दिन, नीला ने शनि देव से आग्रह किया कि वे उसकी ओर ध्यान दें और कुछ समय उसके साथ बिताएं। लेकिन शनि देव अपनी तपस्या में इतने डूबे हुए थे कि उन्होंने उसकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। इससे नीला को बहुत दुख हुआ और उसने शनि देव को श्राप दे दिया कि जिस भी चीज़ को वह देखेंगे, वह नष्ट हो जाएगी।
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जब नीला ने यह श्राप दिया, तो शनि देव ने अपनी गलती समझी और उन्हें इस श्राप से मुक्त करने की प्रार्थना की। नीला ने अपने श्राप को वापस लेने के लिए कहा कि वह अपनी दृष्टि को नीची करके ही देखेंगे, जिससे श्राप का प्रभाव कम हो जाएगा। इसलिए, शनि देव हमेशा अपनी दृष्टि को नीची रखकर ही देखते हैं ताकि उनका दृष्टि प्रभाव किसी को नुकसान न पहुंचाए।
शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप इसलिए दिया था क्योंकि शनिदेव अपनी पत्नी की असम्मानित दृष्टि कर रहे थे और उन्हें उसकी सम्मान नहीं दे रहे थे। यह घटना पुराणों में विस्तार से वर्णित है:
शनिदेव, जिन्हें अस्त्रों और शास्त्रों के ज्ञान में माहिर माना जाता है, एक बार अपनी पत्नी के साथ गंगा नदी में स्नान कर रहे थे। उस समय उनकी पत्नी ने अपने पति को बिना विचार के अपने सर्वशक्तिमान पुत्र के विषय में पूछा। शनिदेव ने उसकी असम्मानित दृष्टि की वजह से उसके सवाल का उत्तर नहीं दिया। इसके बाद, उसकी पत्नी ने उसे श्राप दिया कि वह जब भी किसी को देखेंगे, वह व्यक्ति उसी की दृष्टि से असम्मानित होगा और उस पर उसी के कर्मों का फल पड़ेगा।
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इस श्राप के परिणामस्वरूप, शनिदेव को अपनी अपरिपक्वता की प्राप्ति हुई और उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने कार्य में समर्थ रहा, लेकिन उनके क्रोधी रूप में भी प्रसिद्ध हैं। यह घटना शनिदेव की धर्मसंकट और उसके पारिवारिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को बताती है।
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