India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Katha: महाभारत के वनवास और अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अनेक पवित्र स्थानों और तीर्थस्थलों का भ्रमण किया। इन यात्राओं के दौरान, उन्होंने कई अद्भुत और अविश्वसनीय घटनाओं का अनुभव किया। इन्हीं में से दो झीलों की कहानी अत्यंत रोचक और रहस्यमयी है। ये झीलें थीं — शंखधार सरोवर और बहुला झील। इन झीलों की खासियत यह थी कि जो भी पुरुष इनमें स्नान करता, वह स्त्री बन जाता। आइए, इन झीलों की कथा को विस्तार से समझते हैं।
शंखधार सरोवर: भगवान शिव से जुड़ी अद्भुत झील
शंखधार सरोवर, जिसे आज शंख झील के नाम से जाना जाता है, का उल्लेख महाभारत और शिवपुराण में मिलता है। यह झील हिमालय क्षेत्र में स्थित मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस झील में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। परंतु, भगवान शिव के एक श्राप के कारण, इस झील में स्नान करने वाले पुरुष स्त्री बन जाते थे।
वनवास के दौरान, युधिष्ठिर ने इस झील में स्नान किया। स्नान करते ही वे स्त्री बन गए। यह घटना उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण अनुभव बन गई। शंखधार सरोवर के बारे में कहा जाता है कि यह झील भगवान शिव की कृपा से अत्यंत पवित्र थी, लेकिन किसी कारणवश इसे श्रापित कर दिया गया था।
बहुला झील: काम्यक वन की रहस्यमयी झील
महाभारत के वर्णन के अनुसार, दूसरी श्रापित झील बहुला झील थी, जो काम्यक वन में स्थित थी। अर्जुन ने इस झील में स्नान किया और स्त्री में परिवर्तित हो गए। इस झील से जुड़ी मान्यता भी यही थी कि इसके जल में स्नान करने से व्यक्ति का रूप-परिवर्तन हो जाता है।
अर्जुन के जीवन में यह घटना उनके धैर्य और मानसिक शक्ति की परीक्षा के समान थी। बहुला झील के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह अत्यंत सुंदर और शांत स्थान था, लेकिन इसके श्राप ने इसे एक रहस्यमय स्थल बना दिया।
पौराणिक दृष्टि और आध्यात्मिक महत्व
इन दोनों झीलों की कथा न केवल महाभारत की रोचक घटनाओं में से एक है, बल्कि यह भारतीय पौराणिक साहित्य में स्त्री और पुरुष के भौतिक और आध्यात्मिक रूपांतरण के महत्व को भी दर्शाती है। इन घटनाओं से यह संदेश मिलता है कि किसी भी परिस्थिति में व्यक्ति को अपने धैर्य और संयम को बनाए रखना चाहिए।
शंखधार और बहुला झील की प्रासंगिकता
आज शंखधार सरोवर को शंख झील के नाम से जाना जाता है। इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बना हुआ है। शिवपुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख इसे और भी पवित्र और रहस्यमयी बनाता है। वहीं, बहुला झील का सटीक स्थान अभी भी शोध का विषय है, लेकिन इसका वर्णन महाभारत और अन्य ग्रंथों में स्पष्ट रूप से मिलता है।
महाभारत में वर्णित ये झीलें केवल भौतिक स्थान नहीं थीं, बल्कि वे पांडवों की आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा थीं। ये झीलें हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में आने वाले किसी भी श्राप या कठिनाई को धैर्य और आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करना चाहिए। इन झीलों की कथा आज भी हमें हमारे पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति गर्व का अनुभव कराती है।