India News (इंडिया न्यूज), Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के सातवें दिन देवी मां दुर्गा की 7वीं शक्ति देवी कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। जिसको लेकर पौराणिक मान्यता है कि मां कालरात्रि असुरी शक्तियों का विनाश करने वाली देवी कहीं जाती हैं।
मां काली की तरह ही देवी कालरात्रि ने भी दुष्टों और राक्षसों के दमन के लिए ही यह संहारक अवतार को लिया था। जो लोग शनि की महादशा से पीड़ित हैं, वह आज मां कालरात्रि की उपासना कर सकते हैं। जिससे शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम होगा। तो चलिए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि, महत्व और मंत्र के बारे में
मां कालरात्रि की पूजन के लिए रात्रि यानि निशिता काल मुहूर्त में करना शुभ होता है। मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए भक्तों को स्लेटी रंग के वस्त्र का धारण करना चाहिए। इसके बाद देवी कालरात्रि को कुमकुम का तिलक लगाएं, लाल मौली, गुड़हल का फूल को चढ़ाएं। देवी कालरात्रि का प्रिय भोग गुड़ माना जाता है। इसके साथ ही “क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम: ‘ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ” का यथाशक्ति जाप करें। माना जाता है कि इस विधि से मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों की काल से रक्षा होती है और अकाल मृत्यु के भय दूर होते हैं।
ॐ कालरात्र्यै नम:
क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
‘ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।’
‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
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