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Shirdi Sai Baba : साईं बाबा का व्रत करने से हर मनोकामना पूरी होगी

Sunita • LAST UPDATED : September 30, 2021, 9:07 am IST

Shirdi Sai Baba : साईं बाबा को दुखियों और जरूरतमंदों का सहारा माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार साईं का कोई धर्म या जाति नहीं है, वे अपने हर भक्त को एक नजर से देखते हैं। वैसे तो साईं बाबा अपने भक्तों से सिर्फ प्रेम की आस रखते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन साईं बाबा की पूजा करने का विशेष महत्व है। साईं बाबा के भक्त गुरुवार को उनकी पूजा करते हैं, मंदिर जाते हैं और व्रत रखते हैं। इससे बाबा प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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साईं बाबा के व्रत की विधि (Shirdi Sai Baba)

  • साईं बाबा का पूजन वैसे तो कभी भी किया जा सकता है लेकिन गुरुवार का दिन साईं पूजा के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
  • यदि आप किसी मनोकामना की पूर्ति की आकांक्षा रखते हैं तो आपको साईं बाबा के पूजन के लिए 9 गुरुवार का व्रत करना चाहिए।
  • व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल पर साईं बाबा की मूर्ति अथवा तस्वीर को आसन पर पीला कपड़ा बिछा कर रखें।
  • साईं बाबा को पीले फूल और माला अर्पित करें। इसके बाद बाबा को चंदन का तिलक लगाएं।
  • धूप-दीप प्रज्ज्वलित कर साईं व्रत कथा पढ़ें और इसके बाद साईं बाबा की आरती उतारें।
  • बाबा को प्रसाद के रूप में हलवा, खीर अथवा कोई अन्य मिठाई और फल इत्यादि अर्पित करें।
  • यह ध्यान रखें कि जब आपके 9 व्रत पूर्ण हो जायें तो व्रत का उद्यापन करने के लिए गरीबों को भोजन कराएं और यथाशक्ति उन्हें दान दें।

साईं व्रत कथा (Shirdi Sai Baba)

कोकिला बहन और उनके पति महेशभाई शहर में रहते थे। दोनों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम-भाव था, परन्तु महेशभाई का स्वाभाव झगडालू था। बोलने की तमीज ही न थी लेकिन कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती। धीरे-धीरे उनके पति का धंधा-रोजगार ठप हो गया। कुछ भी कमाई नहीं होती थी। महेशभाई अब दिन-भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली। अब उनका स्वभाव पहले से भी अधिक चिड़चिड़ा हो गया।

एक दिन दोपहर का समय था। एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए। चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दाल-चावल की मांग की। कोकिला बहन ने दाल-चावल दिये और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया, वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखे। कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख मेरी किस्मत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन किया।

महाराज ने श्री साईं के व्रत के बारें में बताया 9 गुरुवार (फलाहार) या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की 9 गुरुवार पूजा करना, साईं व्रत करना और विधि से उद्यापन करना भूखे को भोजन देना, साईं व्रत की किताबें 7, 11, 21 यथाशक्ति लोगों को भेट देना और इस तरह साईं व्रत का फैलाव करना। साईं बाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे, लेकिन साईबाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरूरी है।

कोकिला बहन ने भी गुरुवार का व्रत लिया 9वें गुरुवार को गरीबों को भोजन दिया से व्रत की पुस्तकें भेट दी। उनके घर से झगड़े दूर हुए, घर में बहुत ही सुख शांति हो गई, जैसे महेशभाई का स्वाभाव ही बदल गया हो। उनका धंधा-रोजगार फिर से चालू हो गया। थोड़े समय में ही सुख समृधि बढ़ गई। दोनों पति पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे एक दिन कोकिला बहन के जेठ जेठानी सूरत से आए। बातों-बातों में उन्होंने बताया के उनके बच्चे पढ़ाई नहीं करते परीक्षा में फेल हो गए हैं। कोकिला बहन ने 9 गुरुवार की महिमा बताई और कहा कि साईं बाबा के भक्ति से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएँगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना जरूरी है। साईं सबको सहायता करते हैं। उनकी जेठानी ने व्रत की विधि बताने के लिए कहा। कोकिला बहन ने उन्हें वह सारी बातें बताईं जो खुद उन्हें वृद्ध महाराज ने बताई थी।

सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे हैं और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते हैं। उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की किताबें जेठ के आफिस में दी थी। इस बारे में उन्होंने लिखा कि उनकी सहेली की बेटी शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तय हो गई। उनके पड़ोसी का गहनों का डिब्बा गुम हो गया, अब वह महीने के बाद गहनों का डिब्बा न जाने कहां से वापस मिल गया। ऐसे कई अद्भुत चमत्कार हुए था। कोकिला बहन ने साईं बाबा की महिमा महान है वह जान लिया था। हे साईं बाबा जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते हैं, वैसे हम पर भी होना।

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