India News (इंडिया न्यूज), Shiv Ji’s Mata Pita: भगवान शिव, जिन्हें देवों के देव महादेव के नाम से जाना जाता है, का पूजन पूरे परिवार के साथ किया जाता है। यह परिवार माता पार्वती, पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी से मिलकर बनता है। लेकिन शिव के माता-पिता के बारे में जानकारी काफी दुर्लभ है और यह विषय प्राचीन धर्मग्रंथों में छिपा हुआ है।

शिव महापुराण में भगवान शिव के जन्म का उल्लेख

शिव महापुराण और श्रीमद्देवी महापुराण जैसे धर्मग्रंथों में भगवान शिव के जन्म और उनके माता-पिता का वर्णन मिलता है। इन ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के माता-पिता का नाम सदाशिव और अष्टंगी देवी है।

ब्रह्मा और विष्णु के विवाद की कथा

एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच एक विवाद हुआ। यह विवाद इस बात को लेकर था कि दोनों में से कौन अधिक महत्वपूर्ण है। ब्रह्मा जी ने दावा किया कि वह विष्णु जी के पिता हैं और उनकी उत्पत्ति ब्रह्मा से हुई है। लेकिन विष्णु जी ने इस दावे को खारिज कर दिया। इस बहस ने गंभीर रूप ले लिया और कोई समाधान नहीं निकल पाया।

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सदाशिव का प्रकट होना

जब यह विवाद चरम पर पहुंचा, तो सदाशिव वहां प्रकट हुए। उन्होंने दोनों को समझाते हुए कहा, “पुत्रों, मैंने ही तुम्हें इस सृष्टि की उत्पत्ति और पालन के लिए भेजा है। ब्रह्मा जी सृष्टि के रचनाकार हैं और विष्णु जी पालनकर्ता। मैंने ही शिव को तिरोगति (संहार) का कार्य सौंपा है।” सदाशिव ने यह स्पष्ट किया कि वे ही सृष्टि के मूल स्रोत हैं और सभी देवता उनसे उत्पन्न हुए हैं।

अष्टंगी देवी का महत्व

सदाशिव की पत्नी अष्टंगी देवी को शिव की माता कहा गया है। देवी अष्टंगी को उनकी अष्ट शक्तियों के लिए पूजा जाता है। यह शक्तियां सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार में अहम भूमिका निभाती हैं।

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धार्मिक और सामाजिक आस्था

भगवान शिव के माता-पिता की कथा धर्म और आध्यात्म के गहरे रहस्यों को उजागर करती है। यह कथा हमें यह समझाती है कि सृष्टि के हर पहलू के पीछे एक दिव्य शक्ति काम करती है। साथ ही, यह विश्वास दिलाती है कि सभी देवताओं की उत्पत्ति एक ही दिव्य स्रोत से हुई है।

भगवान शिव के माता-पिता सदाशिव और अष्टंगी देवी का वर्णन हिंदू धर्म की गहरी धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का हिस्सा है। इन कथाओं से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सृष्टि की हर शक्ति एक-दूसरे से जुड़ी हुई है और अंततः एक ही परम शक्ति से उत्पन्न हुई है।

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