India News (इंडिया न्यूज़), Uttar Pradesh Shiva Temple Of Sambhal District: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब 46 साल से बंद पड़ा एक शिव मंदिर आखिरकार प्रशासन की पहल से खुल गया। 15 दिसंबर 2024 को मंदिर में पूजा-अर्चना और आरती का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। मंदिर के खुलने से इलाके के लोग अत्यधिक खुश हैं, क्योंकि यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इलाके की सांस्कृतिक धरोहर भी है।
मंदिर का इतिहास और बंद होने का कारण
यह मंदिर खग्गू सराय नामक मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित है, जहाँ 1978 में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इन दंगों के बाद हिंदू परिवारों का इस क्षेत्र से पलायन शुरू हो गया, और इसके साथ ही मंदिर में ताला लग गया। अंतिम हिंदू परिवार ने 2012 में इस क्षेत्र से विदा ली, जिसके बाद मंदिर पूरी तरह से बंद हो गया था।
मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति, शिवलिंग और नंदी की पूजा होती थी, लेकिन दंगों और पलायन के बाद यह धार्मिक स्थल वीरान हो गया। 46 साल तक ताला लगे रहने के कारण यह मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर बनकर रह गया था।
मंदिर का पुनर्निर्माण और प्रशासन की पहल
शनिवार, 14 दिसंबर 2024 को संभल प्रशासन और पुलिस ने एक अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया, जिसके दौरान यह बंद मंदिर सामने आया। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी के नेतृत्व में प्रशासन ने मंदिर का ताला खुलवाया। इसके बाद मंदिर परिसर की सफाई कराई गई और मंदिर की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और बिजली के कनेक्शन लगाए गए।
मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान एक पुराना कुआँ भी पाया गया, जिसे पहले ढक दिया गया था, और उसे फिर से सुरक्षित कर दिया गया। प्रशासन ने मंदिर की नियमित देखभाल और अन्य प्राचीन तीर्थस्थलों के संरक्षण की योजना बनाई है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
इलाके के बुजुर्ग और नगर हिंदू सभा के संरक्षक विष्णु शरण रस्तोगी (82) ने बताया कि यह मंदिर उनके पुश्तैनी घर के पास था और पहले उनके परिवार के लोग मंदिर की देखभाल करते थे। दंगों के बाद परिवार इस इलाके से पलायन कर गया, लेकिन अब मंदिर को फिर से पुनर्जीवित किए जाने से उन्हें बड़ी राहत मिली है।
स्थानीय लोग मानते हैं कि यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इलाके की सांस्कृतिक धरोहर भी है। यह न केवल हिंदू आस्था का प्रतीक है, बल्कि इस इलाके की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान भी बन चुका है।
संपूर्ण क्षेत्र का विकास और कार्रवाई
इस मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ-साथ प्रशासन ने इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ भी कार्रवाई की है। एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने बताया कि मंदिर के पास कुछ लोग मकान बनाकर अतिक्रमण कर रहे थे, जिन्हें अब ध्वस्त कर दिया गया है और कब्जेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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संभल जिले में प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीमों ने पूरे इलाके में अतिक्रमण हटाने और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया है। इन प्रयासों के तहत, मंदिर को फिर से एक जीवित धार्मिक स्थल के रूप में पुनर्जीवित किया गया है।
अंतिम शब्द
संभल जिले का यह मंदिर अब एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है। 46 साल बाद जब इस मंदिर में पूजा-अर्चना हुई, तो यह न केवल एक धार्मिक जीत थी, बल्कि इलाके के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का प्रतीक भी बन गया। प्रशासन के इस कदम से यह साबित होता है कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण सिर्फ आस्था के लिए ही नहीं, बल्कि समाज की एकता और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।