होम / Shradh 2021: कैसे मिलता है पितरों को भोजन, श्राद्ध करने से

Shradh 2021: कैसे मिलता है पितरों को भोजन, श्राद्ध करने से

Sameer Saini • LAST UPDATED : September 18, 2021, 12:15 pm IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
मदन गुप्ता सपाटू

Shradh 2021
Madan gupta saptu

Shradh 2021: अक्सर आधुनिक युग में श्राद्ध का नाम आते ही इसे अंधविश्वास की संज्ञा दे दी जाती हैं । प्रशन किया जाता है कि क्या श्राद्धों की अवधि में ब्राहमणों को खिलाया गया भोजन पित्तरों को मिल जाता है? क्या यह हवाला सिस्टम है कि पृथ्वी लोक में दिया और परलोक में मिल गया ? फिर जीते जी हम माता पिता को नहीं पूछते… मरणेापरांत पूजते हैं! ऐसे कई प्रशन हैं जिनके उत्तर तर्क से देने कठिन होते हैं फिर भी उनका औचित्य अवश्य होता है।

ऐसा नहीं है कि केवल हिन्दुओं में ही मृतकों को याद करने की प्रथा है, इसाई समाज में निधन के 40 दिनों बाद एक रस्म की जाती है जिसमें सामूहिक भोज का आयोजन होता है।इस्लाम में भी 40 दिनों बाद कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ने का रिवाज है। बौद्ध धर्म में भी ऐसे कई प्रावधान है।तिब्बत में इसे तंत्र-मंत्र से जोड़ा गया है। पश्चिमी समाज में मोमबत्ती प्रज्जवलित करने की प्रथा है।

प्राय: कुछ लोग यह शंका करते हैं कि श्राद्ध में समर्पित की गईं वस्तुएं पितरों को कैसे मिलती है? कर्मों की भिन्नता के कारण मरने के बाद गतियां भी भिन्न-भिन्न होती हैं। कोई देवता, कोई पितर, कोई प्रेत, कोई हाथी, कोई चींटी, कोई वृक्ष और कोई तृण बन जाता है। तब मन में यह शंका होती है कि छोटे से पिंड से अलग-अलग योनियों में पितरों को तृप्ति कैसे मिलती है? इस शंका का स्कंद पुराण में बहुत सुन्दर समाधान मिलता है।

एक बार राजा करंधम ने महायोगी महाकाल से पूछा,’मनुष्यों द्वारा पितरों के लिए जो तर्पण या पिंडदान किया जाता है तो वह जल, पिंड आदि तो यहीं रह जाता है फिर पितरों के पास वे वस्तुएं कैसे पहुंचती हैं और कैसे पितरों को तृप्ति होती है?’
भगवान महाकाल ने बताया कि विश्व नियंता ने ऐसी व्यवस्था कर रखी है कि श्राद्ध की सामग्री उनके अनुरूप होकर पितरों के पास पहुंचती है। इस व्यवस्था के अधिपति हैं अग्निष्वात आदि। पितरों और देवताओं की योनि ऐसी है कि वे दूर से कही हुई बातें सुन लेते हैं, दूर की पूजा ग्रहण कर लेते हैं और दूर से कही गईं स्तुतियों से ही प्रसन्न हो जाते हैं।

वे भूत, भविष्य व वर्तमान सब जानते हैं और सभी जगह पहुंच सकते हैं। 5 तन्मात्राएं, मन, बुद्धि, अहंकार और प्रकृति- इन 9 तत्वों से उनका शरीर बना होता है और इसके भीतर 10वें तत्व के रूप में साक्षात भगवान पुरुषोत्तम उसमें निवास करते हैं इसलिए देवता और पितर गंध व रसतत्व से तृप्त होते हैं। शब्द तत्व से तृप्त रहते हैं और स्पर्श तत्व को ग्रहण करते हैं। पवित्रता से ही वे प्रसन्न होते हैं और वे वर देते हैं।

Also Read :- Shradh 2021: श्राद्ध 20 सितंबर से 6 अक्तूबर तक परंतु 26 सितंबर को पितृपक्ष की तिथि नहीं

Shradh 2021: पितरों का आहार है अन्न-जल का सारतत्व

जैसे मनुष्यों का आहार अन्न है, पशुओं का आहार तृण है, वैसे ही पितरों का आहार अन्न का सारतत्व (गंध और रस) है। अत: वे अन्न व जल का सारतत्व ही ग्रहण करते हैं। शेष जो स्थूल वस्तु है, वह यहीं रह जाती है।

किस रूप में पहुंचता है पितरों को आहार?

नाम व गोत्र के उच्चारण के साथ जो अन्न-जल आदि पितरों को दिया जाता है, विश्वदेव एवं अग्निष्वात (दिव्य पितर) हव्य-कव्य को पितरों तक पहुंचा देते हैं। यदि पितर देव योनि को प्राप्त हुए हैं तो यहां दिया गया अन्न उन्हें ‘अमृत’ होकर प्राप्त होता है। यदि गंधर्व बन गए हैं, तो वह अन्न उन्हें भोगों के रूप में प्राप्त होता है। यदि पशु योनि में हैं, तो वह अन्न तृण के रूप में प्राप्त होता है। नाग योनि में वायु रूप से, यक्ष योनि में पान रूप से, राक्षस योनि में आमिष रूप में, दानव योनि में मांस रूप में, प्रेत योनि में रुधिर रूप में और मनुष्य बन जाने पर भोगने योग्य तृप्तिकारक पदार्थों के रूप में प्राप्त होता है।जिस प्रकार बछड़ा झुंड में अपनी मां को ढूंढ ही लेता है, उसी प्रकार नाम, गोत्र, हृदय की भक्ति एवं देश-काल आदि के सहारे दिए गए पदार्थों को मंत्र पितरों के पास पहुंचा देते हैं। जीव चाहें सैकड़ों योनियों को भी पार क्यों न कर गया हो, तृप्ति तो उसके पास पहुंच ही जाती है।

Shradh 2021: वैज्ञानिक दृष्टिकोण

मान्यता है कि मृत आत्माएं सूक्ष्म शरीर धारण कर लेती हैं और हमारे ब्रहमांड में विचरण करती रहती हैं। एक निर्धारित समय में वे कहीं न कहीं किसी न किसी रुप में जन्म ले लेती हैं। जो आत्माएं जन्म नहीं लेती वे आकाश में रहती हैं जिसे ईथर भी कहा जाता है। और जब सूर्य कन्या राशि में आता है] वे पृथ्वी के सबसे निकट आ जाती हैं। ऐसे सूक्ष्म शरीर केवल वाष्प ग्रहण कर सकते हैं, भोजन नहीं। इसी लिए श्राद्ध पक्ष में ऐसी आत्माओं को जिन्हें पित्तर कहा जाता है, उन्हें जल अर्पित किया जाता है अर्थात अंजलि दी जाती है। किसी दूसरे जीवित शरीर के माध्यम से उन्हें सांकेतिक रुप में भोजन अर्पित किया जाता है। प्रशन उठता है कि हमारे पूर्वज तो कहीं न कहीं कई जन्म ले चुके होते हैं। यह भी आवश्यक नहीं  है कि उन्हें मानव यानि ही पाप्त हुई हो ! यहां बात हमारे संस्कारों और अपने पूर्वजों के प्रति श्रृद्धा व्यक्त करने की है जिसे हम श्राद्ध कहते हैं।

Also Read :- कैसे करें Pitru Paksha में पूजा-अर्चना कि बन जाएं धनवान

pitra shradh 2021 : श्राद्ध में करें इन वस्तुओं का दान

Pitru Paksha 2021 : पितरों को प्रसन्न करने के लिए लगाएं ये पौधे

Pitru Paksha 2021 : श्राद्ध पक्ष में करने चाहिए ये 12 महत्वपूर्ण कार्य

Connect With Us:- Twitter Facebook

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

तिहाड़ में फिर मचा आतंक, आपसी झड़प में एक कैदी की मौत
Canada: सड़क दुर्घटना में भारतीय दम्पति और 3 महीने के पोते की मौत, कार  का पीछा कर रही थी कनाडा पुलिस-Indianews
पाकिस्तान में Flipkart नहीं देता है सेवा, जानिए यहां लोग कैसे करते हैं ऑनलाइन शॉपिंग
मेरी मां ने मुझे परिवार की कर्मभूमि सौंपी…, रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी का बयान
Rohith Vemula: रोहित वेमुला मौत मामले में तेलंगाना पुलिस ने सभी आरोपियों को दिया क्लीन चिट, रिपोर्ट में कही यह बात -Indianews
KKR VS MI: मुंबई और कोलकाता को बीच मुकाबला आज, जानें दोनों टीमों की संभावित प्लेइंग-11
Amazon Great Summer Sale 2024 : माइक्रोवेव ओवन पर मिल रहा डायरेक्ट डिस्काउंट, यहां देखिए किसे मिलेगा ये फायदा
ADVERTISEMENT