Categories: धर्म

Shradh 2021 श्राद्ध पक्ष कल से शुरू

Shradh 2021

खास योग में करें पितरों का तर्पण मिलेगी शांति
100 साल बाद श्राद्ध पक्ष में महासंयोग
सौ साल बाद 7 योगों ने बनाया श्राद्ध पक्ष को खास

इंडिया न्यूज, कैथल :
नरेश भारद्वाज


इस बार Shradh पक्ष में 5 बार स्वार्थ सिद्धि योग रहेगा और समापन भी स्वार्थ सिद्धि योग में ही होगा। इसके अलावा एक अमृत गुरु पुष्य योग तथा गजछाया योग का महासंयोग भी रहेगा। श्राद्ध पक्ष में गुरु तारे का उदित रहना भी खास रहेगा। इस बार श्राद्ध पक्ष में कोई तिथि खंडित नहीं है और ना ही किसी तिथि का क्षय है। इसलिए यह सभी योग श्राद्ध पक्ष को अति खास बना रहे हैं।


इस बार मंगलवार से Shradh पक्ष शुरू हो रहे हैं। इस बार श्राद्ध पक्ष में सौ साल बाद ऐसे योग बन रहे हैं। जिसके दौरान पितरों को अन्न, जल प्रदान करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आएगी। सात संयोग होना Shradh पक्ष को खास बना रहा है। मंगलवार 21 सितंबर को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा पर दिव्य संयोगों व ग्रहों की श्रेष्ठ स्थिति में महालय श्राद्ध पक्ष का आरंभ होगा। इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत सर्वार्थसिद्धि योग में हो रही है। श्राद्ध पक्ष का समापन भी सर्वार्थसिद्धि योग में आ रही सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर होगा। श्राद्ध के इन 16 दिनों में पांच सर्वार्थसिद्धि, एक अमृत गुरु पुष्य योग तथा गजछाया योग का महासंयोग रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस दुर्लभ पक्षकाल में पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होकर सुख, शांति व वंशवृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामराज कौशिक व पंडित दीप लाल जयपुरी अंबाला के अनुसार श्राद्ध के लिए भाद्रपदा मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण अमावस्या तक 16 दिवसीय पक्षकाल माना जाता है। श्रद्धालु दिवंगत हुए अपने पितरों की तिथि अनुसार तीर्थ पर श्राद्ध करने आते हैं। धर्मधानी उज्जैन पितृकर्म के लिए विशेष मानी गई है। यहां पितरों को श्राद्ध करने से गया के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। स्कंदपुराण के अवंतिखंड में उज्जैन में श्राद्ध करने के लिए सिद्धवट, रामघाट व गयाकोठा तीर्थ का उल्लेख मिलता है। 20 सितंबर को भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि रहेगी। अगले दिन 21 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग की साक्षी में श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो जाएगा। 6 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि व गजछाया योग के महासंयोग में सर्वपितृ अमावस्या पर पक्ष काल का समापन होगा।

Shradh में गुरु तारा रहेगा उदित, कोई तिथि खंडित नहीं

Shradh पक्ष के इन 16 दिनों में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार महालय श्राद्ध पक्ष में गुरु के तारे का उदित रहना तथा तिथि का खंडित नहीं होना अतिश्रेष्ठ माना जाता है। इस बार सोलह दिवसीय पर्वकाल में यह विशिष्ट स्थिति भी बन रही है। श्राद्ध पक्ष में गुरु का तारा भी उदित अवस्था में रहेगा तथा Shradh पूरे सोलह दिन के रहेंगे। पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। जिस व्यक्ति की जिस तिथि पर मृत्यु हुई है, उसी तिथि पर उस व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति के मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति का श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

शास्त्रों ने बताया कैसे करें Shradh

1.’त्रीणि श्राद्धे पवित्राणि दौहित्र: कुतपस्तिला:।
वर्ज्याणि प्राह राजेन्द्र क्रोधोध्वगमनं त्वरा।’
– यानि दौहित्र पुत्री का पुत्र, कुतप मध्या- का समय और तिल ये तीन श्राद्ध में अत्यंत पवित्र हैं। जबकि क्रोध, अध्वगमन श्राद्ध करके एक स्थान से अन्यत्र दूसरे स्थान में जाना व श्राद्ध करने में शीघ्रता ये तीन वर्जित हैं।
2. ‘दन्तधावनताम्बूले तैलाभ्यडमभोजनम।
रत्यौषधं परान्नं च श्राद्धकृत्सप्त वर्जयेत्?।’
– यानि दातौन करना, पान खाना, तेल लगाना, भोजन करना, स्त्री प्रसंग, औषध सेवन और दूसरे का अन्न ये सात श्राद्धकर्ता के लिए वर्जित हैं।
3. ‘सर्वलक्षणसंयुक्तैर्विद्याशीलगुणान्वितै:।
पुरुषत्रयविख्यातै: सर्वं श्राद्धं प्रकल्पयेत्?।’
– यानि समस्त लक्षणों से संपन्न विद्या, शील व सद्गुणों से संपन्न और तीन पुरुषों से विख्यात सद्गुणों से श्राद्ध संपन्न करें।
4. ‘यदन्नं पुरुषोऽश्नाति तदन्नं पितृदेवता:।
अपकेनाथ पकेन तृप्तिं कुर्यात्सुत: पितु:।’
– यानि मनुष्य जिस अन्न को स्वयं भोजन करता है, उसी अन्न से पितृ और देवता भी तृप्त होते हैं। पकाया हुआ या बिना पकाया हुआ अन्न प्रदान करके पुत्र अपने पितृ को तृप्त करें।

Shradh में वर्जित है यह सब

कुछ अन्न और खाद्य पदार्थ जो श्राद्ध में प्रयुक्त नहीं होते- मसूर, राजमा, कोदो, चना, कपित्थ, अलसी, तीसी, सन, बासी भोजन और समुद्र जल से बना नमक। भैंस, हिरणी, ऊंटनी, भेड़ और एक खुर वाले पशु का दूध भी वर्जित है, पर भैंस का घी वर्जित नहीं है। श्राद्ध में दूध, दही और घी पितरों के लिए विशेष तुष्टिकारक माने जाते हैं। श्राद्ध किसी दूसरे के घर में, दूसरे की भूमि में कभी नहीं किया जाता है। जिस भूमि पर किसी का स्वामित्व न हो, सार्वजनिक हो, ऐसी भूमि पर श्राद्ध किया जा सकता है। Shradh करने वाले व्यक्ति को अपने नाखून नहीं काटने चाहिए और ना ही दाढ़ी का बाल बनाने चाहिएं। इस्त्री संसर्ग से दूर रहे और मांस मदिरा का त्याग करें। Shradh में कोई शुभ कार्य ना करें।

Mukta

Sub-Editor at India News, 7 years work experience in punjab kesari as a sub editor, I love my work and like to work honestly

Recent Posts

सड़ने लगी है किडनी, कोने-कोने में जम गया है मैल? अनहोनी होने पहले हो जाएं सावधान, वरना होगा ऐसा हाल!

Kidney Problem Symptoms: किडनी हमारे शरीर का फिल्टर है। अगर हमारी किडनियां काम करना बंद…

14 minutes ago

क्या आने वाले समय राष्ट्रपति बनेंगे एलन मस्क? इस सवाल का ट्रंप ने दिया ऐसा जवाब, हिल गए बाकी देश

ट्रंप आलोचना का जवाब दे रहे थे, खासकर डेमोक्रेटिक कैंप से, जिसमें टेक अरबपति और…

34 minutes ago

दक्षिण अमेरिकी देश में हुआ जयपुर जैसा अग्निकांड, हादसे में 30 से ज़्यादा लोगों की हुई मौत, जाने कैसे हुई दुर्घटना

अग्निशमन कर्मियों ने बताया कि बस का टायर फट गया था, जिससे चालक ने नियंत्रण…

1 hour ago

यमुना नदी पर नया पुल तैयार, महीने भर बाद ट्रेनों को मिलेगी रफ्तार, 1866 में हुआ था पुराने पुल का निर्माण

India News (इंडिया न्यूज),Delhi: यमुना पर लोहे के पुराने पुल के बराबर में निर्माणाधीन नए…

3 hours ago