1. शोषण
युधिष्ठिर ने कहा कि उन्होंने एक दो-सूंड वाले हाथी को देखा। श्री कृष्ण ने बताया कि यह दृश्य कलयुग में ऐसे नेताओं का प्रतीक है, जो शब्दों से एक बात कहते हैं लेकिन कर्म से कुछ और करते हैं। वे जनता का शोषण करेंगे, दोनों तरफ से लाभ उठाने का प्रयास करेंगे।
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2. राक्षसी आचरण
अर्जुन ने देखा कि एक पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएं थीं, लेकिन वह मरे हुए जानवर का मांस खा रहा था। श्री कृष्ण ने समझाया कि कलयुग में लोग खुद को ज्ञानी मानेंगे, लेकिन उनके आचरण राक्षसी होंगे। वे दूसरों की संपत्ति के लिए लालायित रहेंगे और उनके विचार पापपूर्ण होंगे।
3. विकास रुक जाएगा
भीम ने बताया कि उसने देखा कि एक गाय अपने बछड़े को इतना चाट रही थी कि वह लहूलुहान हो गया। श्री कृष्ण ने कहा कि यह संकेत है कि कलयुग में मां की ममता के कारण बच्चों का विकास बाधित होगा। माता-पिता अपने बच्चों के प्रति आत्मीयता दिखाएँगे, लेकिन साधु या योग्य व्यक्तियों के प्रति उनका दृष्टिकोण भिन्न होगा।
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4. गरीबों की कोई मदद नहीं करेगा
सहदेव ने बताया कि उसने देखा कि सात भरे हुए कुओं के बीच एक कुआं बिल्कुल खाली था। श्री कृष्ण ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि कलयुग में भूखे लोग मदद के बिना मरेंगे। अमीर लोग अपनी विलासिता में लिप्त रहेंगे, जबकि आस-पास के गरीबों की ओर ध्यान नहीं देंगे।
5. हरिनाम से मिलेगी मुक्ति
नकुल ने देखा कि एक बड़ी चट्टान बड़े-बड़े वृक्षों से टकराकर भी नहीं रुकी, लेकिन एक छोटे से पौधे से टकराकर रुक गई। श्री कृष्ण ने कहा कि यह संकेत है कि कलयुग में मनुष्य का मन इतनी गिरावट में होगा कि सत्ता का कोई भी रूप उसे संतुष्ट नहीं करेगा, लेकिन हरिनाम का जप उसकी मुक्ति का साधन बनेगा।
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निष्कर्ष
इस कथा के माध्यम से श्री कृष्ण ने पांडवों को कलयुग की समस्याओं और चुनौतियों के बारे में बताया। यह हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि कैसे समाज में नैतिकता और मानवीय मूल्यों का ह्रास होगा। लेकिन, हरिनाम का जप और धार्मिक आचरण ही उस पतन को रोक सकता है और व्यक्ति को मुक्ति दिला सकता है। इस प्रकार, यह कथा हमें चेतावनी देती है कि हमें अपने आचरण और विचारों में सुधार करना चाहिए।
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