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भारत का ये अनोखा मंदिर जहा शिव की प्रतिमा नहीं बल्कि पूजा जाता हैं उनका अंगूठा, जानें क्यों?

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 3, 2024, 7:34 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Sirohi District Of Rajasthan Shiv Mandir: जटाधारी भगवान शिव, जिन्हें संहारक और संजीवनी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, इस संसार की मोह-माया से मुक्ति दिलाकर अपने भक्तों का बेड़ा पार करते हैं। शिव पुराण और स्कन्द पुराण में वर्णित है कि शिव केवल काशी में ही नहीं, बल्कि राजस्थान के सिरोही जिले की अरावली पर्वत श्रृंखला में भी विविध रूपों में निवास करते हैं।

अरावली की इस प्राचीन पर्वत माला में, जो माउंट आबू के पवित्र स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, शिव के अनंत रूपों की उपस्थिति का वर्णन मिलता है। इन पुराणों के अनुसार, शिव स्वयं इन पर्वतों में साक्षात रूप में विद्यमान हैं। यही कारण है कि सिरोही जिले में अनगिनत मठ-मंदिर इन पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित हैं, जहाँ पर भक्तगण शिव की आराधना करते हैं और उनके दर्शन हेतु दूर-दूर से आते हैं।

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महान ऋषि वशिष्ठ की कड़ी तपस्या

स्कन्द पुराण के अनुसार, महान ऋषि वशिष्ठ ने भी इन्हीं अरावली पर्वतों में तपस्या की थी। वशिष्ठ मुनि एक गुफा में तपस्या करते थे, और उनके पास एक पवित्र गाय नंदिनी थी, जो उन्हें संजीवनी शक्ति प्रदान करती थी। ऐसा माना जाता है कि इन्द्र के वज्र के प्रहार से इस पर्वत श्रृंखला में एक ब्रह्म खाई बन गई थी, और उसी ब्रह्म खाई के पास वशिष्ठ मुनि अपनी तपस्या में लीन रहते थे। इस क्षेत्र को आज भी एक पवित्र स्थान माना जाता है, जहाँ पर ऋषि वशिष्ठ की उपस्थिति और उनकी तपस्या का महत्त्व अब भी जीवंत है।

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राजस्थान के सिरोही जिले में हैं स्थित

राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित अचल गढ़ नामक स्थान भी अपने अद्वितीय धार्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ देवाधिदेव महादेव के अंगूठे की पूजा होती है, जो अपने आप में एक अद्भुत धार्मिक परंपरा है। शिव पुराण और स्कन्द पुराण के अनुसार, इस स्थान पर शिव के साक्षात अंगूठे की उपस्थिति है, और इसी अंगूठे के कारण यह पर्वत स्थिर या अचल बना हुआ है। इस मान्यता के अनुसार, अचल गढ़ का पर्वत भगवान शिव के अंगूठे पर स्थिर है, जो उनकी शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है।

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पुराणों की कथा

यह कहानी सिर्फ पुराणों की एक कथा मात्र नहीं है, बल्कि यह शिव की असीम शक्ति और भक्तों के प्रति उनकी अनुकंपा का जीवंत उदाहरण है। अरावली की पर्वत श्रृंखला, माउंट आबू के पवित्र स्थल, और अचल गढ़ के मठ-मंदिर सभी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि भगवान शिव अपने अनंत रूपों में हर जगह विद्यमान हैं, और उनकी उपस्थिति से यह धरती पवित्र हो जाती है। उनके अंगूठे की यह कथा हमें यह संदेश देती है कि शिव की कृपा से बड़े से बड़े संकट भी समाप्त हो सकते हैं और उनके भक्तों का जीवन संवार सकता है।

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