India News (इंडिया न्यूज), Shree Krishna With Kuber Son’s: हिंदू पौराणिक कथाओं में धन के देवता कुबेर का स्थान महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके परिवार और विशेषकर उनके पुत्रों के बारे में जानकारी कम मिलती है। कुबेर के दो प्रमुख पुत्र हैं: नलकुबेर और मणिग्रीव। ये दोनों अपने पिता की संपत्ति और प्रतिष्ठा के कारण बड़े और बिगड़े नवाबों की तरह जाने जाते थे।
नलकुबेर और मणिग्रीव का जीवन
कुबेर ने भद्रा से विवाह किया, जो सूर्य देवता और छाया देवी की पुत्री थीं। उनके दो पुत्रों ने एक बार मदिरा पीते समय और स्त्रियों के साथ जल-क्रीड़ा करते हुए देवर्षि नारद का अपमान किया। नारद जी, जो कि ज्ञान और भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं, इस दृश्य को देखकर आहत हुए।
श्राप का प्रभाव
नारद जी ने दोनों को श्राप देते हुए कहा कि वे जड़ वृक्ष बन जाएँ। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उद्धार मिलेगा। नारद के इस श्राप ने उन्हें वृक्षों में बदल दिया, और वे ब्रज में नंद द्वार के समीप अर्जुन के वृक्ष बन गए।
श्रीकृष्ण का उद्धार
जब श्रीकृष्ण ने अवतार लिया, तब उन्होंने अपने लीलाओं में से एक में दही का मटका फोड़कर यशोदा माता को नाराज़ किया। इस घटना के दौरान, ऊखल से बंधा हुआ कृष्ण अर्जुन वृक्षों के पास पहुँच गए। अपनी चतुराई से उन्होंने वृक्षों को गिरा दिया और इस प्रकार नलकुबेर और मणिग्रीव को उनके वृक्ष योनि से मुक्त किया।
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निष्कर्ष
यह कथा हमें यह सिखाती है कि अहंकार और अपमान के परिणाम गंभीर हो सकते हैं, और सच्ची भक्ति और विनम्रता ही हमें सही मार्ग पर ले जाती है। कुबेर के पुत्रों का उद्धार श्रीकृष्ण द्वारा उनकी भक्ति और प्यार के कारण हुआ, जो यह दर्शाता है कि चाहे हम कितने भी बड़े हों, अंततः सभी को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। यह कहानी पौराणिक दृष्टिकोण से हमारे जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती है—धन और प्रतिष्ठा से अधिक महत्वपूर्ण है साधारणता, विनम्रता और भक्ति।
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