India News (इंडिया न्यूज), Curse Of Kaliyuga: कलयुग में भी श्राप और आशीर्वाद का प्रभाव वैसा ही हो सकता है जैसा पहले के युगों में माना जाता था। इस विचार के पीछे एक महत्वपूर्ण तत्त्व है—शुद्ध हृदय और जागृत आत्मा। ऐसे व्यक्ति, जो अपने मन, आत्मा, और शरीर को ध्यान, साधना, और पूजा के माध्यम से शुद्ध कर चुके हैं, उनके बोले हुए शब्दों में अद्भुत शक्ति होती है। उनका हर शब्द सीधे ब्रह्मांड से संपर्क करता है और उसे प्रभावित करता है।
विशेष रूप से, उन व्यक्तियों के गले में स्थित विशुद्धि चक्र, जो हमारे वाणी और संचार से जुड़ा है, जब जागृत हो जाता है, तो उनके शब्दों में असाधारण प्रभावशीलता होती है। यह प्रभाव इसलिए होता है क्योंकि वे साधना और ध्यान से अपने सारे मानसिक और आत्मिक अवरोधों (फिल्टर्स) को हटा चुके होते हैं। उनके मन और वचन पूरी तरह से पवित्र और स्वच्छ होते हैं, जिससे उनका बोला हुआ सत्य के रूप में प्रकट होने लगता है।
ये लोग जब गुस्से में होते हैं और कुछ बोलते हैं, तो उनका कहा हुआ सच हो जाता है, क्योंकि उनके शुद्ध हृदय और जागृत आत्मा के कारण उनके वचनों में ब्रह्मांड से संपर्क की अपार क्षमता होती है। यह संपर्क सीधा और बिना किसी विघ्न के होता है। इसलिए इन व्यक्तियों के वचनों को नजरअंदाज करना या उन्हें चोट पहुंचाना घातक हो सकता है, क्योंकि उनके गुस्से या दुःख में निकले शब्द किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं।
ध्यान रखने योग्य बातें:
प्योर सोल:
जो व्यक्ति स्वभाव से पवित्र होते हैं, जो सच्चे हृदय से दूसरों की भलाई चाहते हैं, उनके शब्दों में ब्रह्मांड को प्रभावित करने की शक्ति होती है।
ध्यान और साधना:
जो लोग लगातार ध्यान और साधना में लीन रहते हैं, उनके अंदर की ऊर्जा शुद्ध और अत्यधिक शक्तिशाली हो जाती है।
विशुद्धि चक्र:
यह चक्र जब जागृत होता है, तो इंसान की वाणी शक्तिशाली और प्रभावी हो जाती है। उनका कहा हुआ सत्य के रूप में प्रकट होने लगता है।
गुस्सा और दुःख से बचें:
ऐसे लोगों को कभी भी गुस्सा या दुःख नहीं दिलाना चाहिए, क्योंकि उनके बोले हुए शब्द आपके जीवन पर प्रभाव डाल सकते हैं।
इसलिए यदि आपको लगता है कि कलयुग में किसी का श्राप या आशीर्वाद प्रभावी नहीं होता, तो यह भ्रम है। ऐसे पवित्र आत्माएं और साधक अभी भी इस संसार में हैं जिनके शब्दों में ब्रह्मांड को बदलने की शक्ति है।
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