India News (इंडिया न्यूज), Vetala Temple: नरक चतुर्दशी, जिसे नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक विशेष और महत्वपूर्ण पर्व है। यह दीपावली उत्सव का एक हिस्सा होता है और इस दिन मां काली, यमदेव और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं के नाम से दीप जलाने से व्यक्ति का भय दूर हो जाता है और उसके जीवन से नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।
इस पर्व का संबंध खासकर तांत्रिक और अघोरी साधनाओं से जुड़ा हुआ है। नरक चौदस की रात को तंत्र साधना करने वाले लोग मां काली की पूजा करते हैं और विशेष सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस समय माता काली अपने सबसे शक्तिशाली रूप में मानी जाती हैं, और इसलिए कुछ मंदिरों में आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाता है, जबकि केवल अघोरी साधकों को ही प्रवेश की अनुमति होती है।
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नरक चौदस का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ तंत्र साधना और अघोरी परंपरा भी जुड़ी हुई है। यह पर्व हमें हमारे पौराणिक और तांत्रिक इतिहास की झलक देता है, जहां मां काली के शक्तिशाली रूप की पूजा की जाती है। इस रात को कुछ मंदिरों में तांत्रिक साधक और अघोरी अपने विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से सिद्धियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं, जो इस पर्व को और भी रहस्यमय और विशिष्ट बनाता है।
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