India News (इंडिया न्यूज), Lankini & Hanuman Ji: रामायण एक ऐसा महाकाव्य है जिसमें हर पात्र का अपना विशेष महत्व है, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो। रामायण की कथा में रोमांच, रहस्य, और धार्मिक संदेशों का गहरा समावेश है, और हर पात्र इस महाकाव्य के ताने-बाने को जीवंत बनाए रखता है। हनुमान जी की लंका यात्रा के दौरान, उनकी भेंट एक महत्वपूर्ण पात्र, लंकिनी से होती है।
लंकिनी का परिचय
लंकिनी, रामायण की एक अद्वितीय और शक्तिशाली स्त्री पात्र है, जिसे रावण ने लंका की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। वह लंका नगरी के मुख्य द्वार पर पहरा देती थी और उसकी अनुमति के बिना कोई भी लंका में प्रवेश नहीं कर सकता था। अपनी अद्वितीय शक्ति और बल के कारण, वह लंका की सुरक्षा की मुख्य प्रहरी मानी जाती थी।
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हनुमान जी और लंकिनी का सामना
रामायण कथा के अनुसार, जब हनुमान जी माता सीता का पता लगाने के लिए लंका पहुंचे, तो उन्हें लंकिनी का सामना करना पड़ा। लंका के प्रवेश द्वार पर जब हनुमान जी प्रवेश करने लगे, तो लंकिनी ने उन्हें देख लिया और तुरंत उन पर आक्रमण करने दौड़ी।
हालांकि, लंकिनी की अत्यधिक शक्ति के बावजूद, हनुमान जी ने अपने एक ही जोरदार प्रहार से उसे चारों खाने चित कर दिया। लंकिनी इस प्रहार से अचेत हो गई और वह समझ गई कि अब लंका के राक्षसों का अंत निकट है।
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लंकिनी की स्वीकार्यता
हनुमान जी के इस प्रहार के बाद, लंकिनी ने अपना अहंकार छोड़ दिया और इस बात को स्वीकार किया कि राक्षसों के साम्राज्य का पतन अब सुनिश्चित है। उसने हनुमान जी से यह कहते हुए ब्रह्मलोक की ओर प्रस्थान किया कि अब समय आ गया है जब राक्षसों का अंत होगा और धर्म की स्थापना होगी।
लंकिनी का महत्व
लंकिनी का पात्र इस बात का प्रतीक है कि जब समय का चक्र बदलता है, तो सबसे शक्तिशाली और अजेय समझे जाने वाले भी अपने अंत को स्वीकार कर लेते हैं। लंकिनी, जो पहले लंका की सुरक्षा की अभेद्य दीवार थी, हनुमान जी के सामने अपनी पराजय स्वीकार करती है और यह संदेश देती है कि अधर्म का अंत निश्चित है।
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इस प्रकार, रामायण की इस घटना में लंकिनी का पात्र न केवल कथा को रोमांचक बनाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समय के साथ हर शक्ति का अंत हो सकता है, चाहे वह कितनी भी प्रबल क्यों न हो।
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