इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : अयोध्या आंदोलन के शुरू होते ही देश की सियासत में भाजपा का एक नया रूप सामने उभरा। सियासत में हिंदुत्व का तानाबाना बुनकर भाजपा लोगों के बीच पैठ बनाने में जुटी गई। अयोध्या आंदोलन ने भाजपा को कई कोहिनूर दिए या कहें दिग्गजों ने राममंदिर आंदोलन के जरिए देश की सियासत में खुद को स्थापित किया। इन्हीं नामों में एक नाम है लालकृष्ण आडवाणी। भाजपा के भीष्म पितामह जिन्होंने अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में 8 नवंबर 1927 को जन्म लिया। विभाजन के बाद सिंध प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा बना। इसके बाद आडवाणी परिवार मुंबई आ गया।
जानकारी दें, लालकृष्ण आडवाणी के पिता का नाम कृष्णचंद आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पाकिस्तान के कराची में हुई। इसके बाद उन्होंने सिंध में कॉलेज में दाखिला लिया। मुंबई में आडवाणी ने कानून की शिक्षा ली।
लाल कृष्ण आडवाणी 14 साल की उम्र में संघ से जुड़ गए थे। अयोध्या में राम मंदिर बने, इसको लेकर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की गई। इस आंदोलन में आडवाणी की भूमिका ने भाजपा को एक नया रूप दिया।
आपको बता दें, भाजपा में नंबर दो की हैसियत पर रहे आडवाणी व पार्टी की सलाह पर भाजपा ने राम मंदिर निर्माण के वादे को अपने घोषणा पत्र में प्रमुखता दी। आडवाणी खुलकर राम मंदिर निर्माण के समर्थन में आए जिससे अस्तित्व के लिए जूझ रही भाजपा लोकसभा में दो से बढ़कर 86 सीटों तक पहुंच गई।
यह चुनावी जीत तो एक नींव थी। भाजपा ने लोगों की नब्ज टटोल ली थी। इसके बाद भाजपा और आडवाणी पूरे दम से इस आंदोलन को मूर्त रूप देने में जुट गए और इसी को लेकर एक नए अध्याय का आरंभ हुआ।
इस अध्याय का नाम था रथयात्रा, जिसकी लालकृष्ण ने घोषणा की। इसके लिए गुजरात के सोमनाथ मंदिर से यात्रा प्रारंभ करने और अयोध्या में समापन का निर्णय लिया गया।
इसी क्रम में 25 सितंबर 1990 को आडवाणी ने सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की। रथ यात्रा काफी चर्चित रही। रथयात्रा शुरू होते ही आडवाणी का नया अवतार हुआ जिसने उन्हें हिंदुत्व का नायक बना दिया।
आडवाणी को 30 अक्तूबर को अयोध्या पहुंचना था। यहां वह कारसेवा में शामिल होने वाले थे। इससे पहले वे उत्तर प्रदेश पहुंचते बिहार की सियासत कुछ और ही रूप ले चुकी थी।
बिहार में लालू यादव आडवाणी की इस रथयात्रा के विरोध में थे। रथयात्रा के समस्तीपुर पहुंचते ही 23 अक्तूबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी का आदेश लालू यादव ने दिया था।
रथयात्रा समाप्त होते-होते भाजपा देश की सियासत में अपना रसूख कायम कर चुकी थी। 1991 के आम चुनावों में भाजपा को 120 सीटें मिलीं। इसीलिए भाजपा की सियासी नींव रखने में आडवाणी की अहम भूमिका मानी जाती है।
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