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The Unique World of the Leela of Charismatic Yogis करिश्माई योगियों की लीला का अनोखा संसार

The Unique World of the Leela of Charismatic Yogis

राम कुमार पाण्डेय

अद्भुत, अविश्वसनीय, अवर्णनीय आप कुछ भी कह सकते हैं इसे। बहुतों को ऐसा ही लगता होगा कि ये तो हम अपने बुजुर्गों से सुनते आए हैं और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसे बस एक कोरी कहानी जैसा मान लेते हैं। शायद इस पर भरोसा करने का कोई आधार भी नहीं मिलता और कोई उद्देश्य भी नहीं। आज हम इसी रहस्य वाली बात को उंठाने जा रहे हैं, जिस पर तमाम लोगों ने गल्प कथाएं भी लिख डाली हैं और जिस पर बहुत सारे फ्राड लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए एक जाल भरा संसार भी रच डाला है।

आज की चर्चा हिमालय के उन रहस्यमय योगियों से संबंधित है, जिनके बारे में जनश्रुतियां ही अधिक प्रचलित रही हैं। पर्वतराज हिमालय का एक अनूठा, शक्तिशाली, रहस्यमय संसार अपने आप में प्रभावित करने वाला है। किंतु इसमें चमत्कारिक रूप से करिश्माई योगविद्या संपन्न समाधिस्थ योगियों की लीला सबसे अधिक प्रभावित करती है। जनश्रुतियां इस बारे में कई कथानक कहती नजर आती हैं और विद्वतजन इस पर अपनी अलग कहानी भी सुनाते नजर आते हैं। यदि हम पौराणिक आख्यानों की बात करें तो ब्रह्मवैवर्त और स्कंद पुराण के अलावा कई अन्य रचनाकारों ने भी इस विषय पर कहीं छिटपुट और कहीं विस्तृत रूप से प्रकाश डालने की कोशिश की है। स्वर्गीय नारायण दत्त श्रीमाली ने इस विषय पर एक अलग ही संसार रच डाला। उन्होंने हिमालय के दुर्गम्य और अनजान स्थल पर स्थित ह्लसिद्धाश्रमह्व नामक एक ऐसे संसार की कल्पना की जिसे वे परम शक्तिशाली योगियों सहित सतयुग, त्रेता व द्वापर के कई महान ऋषियों की लीलाभूमि बताते थे। उनके अनुसार सिद्धाश्रम नामक इस स्थान पर राम, कृष्ण, विश्वामित्र, वशिष्ठ, कृपाचार्य, अश्वत्थामा आदि का समय-समय पर विचरण होता रहता है। वे स्वयं इस सिद्धाश्रम में सशरीर जाने का दावा तो करते ही थे साथ ही वे ये भी कहते थे कि उनके जाने से सिद्धाश्रम धन्य हो जाता है। उन्होंने इस स्थल की सुरम्यता, मनोहारिता, मनमोहकता और स्वर्गीय छटा का अद्भुत वर्णन अपनी रचनाओं में किया। हालांकि ऐसी अटपटी बातें कितनी सच हैं इसे वे स्वयं बता सकते थे अन्यथा की स्थिति में इनकी सच्चाई जाननी बिल्कुल असंभव सी बात है।

The Unique World of the Leela of Charismatic Yogis

हालांकि माइथोलॉजिकल तथ्य इस प्रकार की भ्रामक बातों से बिल्कुल दूर एक समझ में आ सकने वाली बात करते हैं, जिसे जानना आवश्यक है। इनके अनुसार हिमालय की दुर्गमता समाधि और यौगिक क्रियाओं के लिए सर्वोत्तम है। ऐसे अभेद्य स्थल पर आमजन नहीं जा सकते और दृढ़ संकल्पित योगी-महर्षि इसी कारण इस भूमि को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुनते हैं। हजारों-हजार वर्षों से सूक्ष्म शरीर में जीवित ऐसे योगी मात्र श्वास को अपना ग्रास बनाकर समाधि मुद्रा में मौजूद हैं।

सतयुग-त्रेता-द्वापर कालीन योगियों के अभी तक जीवित होने पर हमें महान आश्चर्य अवश्य हो सकता है, किंतु कई सिद्ध पुरुषों ने उनसे संपर्क होने और तमाम रहस्यात्मक बातों से परिचित होने का दावा किया है। दावा तो ये तक है कि ऐसे योगी समस्त ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियों को अपने वश में रखते हैं तथा कायनात की हर संरचना को परिवर्तित कर उसे नया स्वरूप दे सकते हैं। असीमित शक्तियों के स्वामी होने के कारण वे हर उस क्रिया या इच्छा से मुक्त हो चुके होते हैं जिनसे एक सामान्य इंसान आए दिन दो-चार होता रहता है। एक प्रकार से ये सशरीरी मोक्षमय अवस्था है, जिसे आम इंसान नहीं हासिल कर सकता है। हमारी ये कोशिश होगी कि अगले आलेखों में इन योगियों से संबंधित रहस्यमय तथ्यों को सामने लाया जाए जिन्हें अध्यात्म पथ पर अग्रसर व्यक्ति के लिए पढ़ना और जानना आवश्यक है।

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