धर्म

एक ऐसा मेटल जो कभी नहीं सकता हैं जल और वो हैं सोना, फिर कैसे सोने की लंका को दिया था जला?

India News (इंडिया न्यूज), Kaise Jali Sone Ki Lanka: हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम का विषय “लाइफ ऑफ लेसन्स फ्रॉम रामायण” था, जिसमें वाल्मीकि रामायण पर आधारित गहरी चर्चा की गई। इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि जब प्रश्नोत्तर सत्र शुरू हुआ, तो छात्रों ने कई रोचक सवाल पूछे। यशोदीप ने इन सभी सवालों के जवाब दिए और कार्यक्रम के समापन के बाद भी लगभग एक घंटे तक छात्रों के साथ बातचीत की। यह संवाद तब तक जारी रहा जब तक यशोदीप अपनी कार में रवाना नहीं हुए।

वाल्मीकि रामायण के आधार पर यशोदीप के उत्तर

यशोदीप ने स्पष्ट किया कि टीवी पर दिखाए जाने वाले रामायण के कार्यक्रम वाल्मीकि रामायण पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने बताया कि जो वास्तविक रामायण है, वह बहुत अलग और अधिक गहन है। कार्यक्रम में एनआईटी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष सुरेश हावरे, डायरेक्टर एनवी रमना राव, और बड़ी संख्या में विद्यार्थी शामिल थे, जिन्होंने यशोदीप के विश्लेषण को ध्यानपूर्वक सुना और सवाल किए।

मर्यादा पुरुषोत्तम होने के बाद भी क्यों श्री राम को लगा था ब्रह्महत्या दोष? कैसे मिली थी इससे मुक्ति

पत्रिका इंटरव्यू: एक किताब ने बदल दी दुनिया

पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में यशोदीप ने अपनी यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि आईआईटी बॉम्बे और आईआईएम से पासआउट करने के बाद, उन्होंने छह साल तक नौकरी की और 12 साल तक बिजनेस किया। पिछले छह वर्षों से, वे वाल्मीकि रामायण पर गहन रिसर्च कर रहे हैं। यशोदीप ने यूट्यूब चैनल 21 नोट्स के माध्यम से वाल्मीकि रामायण के विभिन्न प्रसंगों को भी साझा किया है।

यशोदीप ने खुलासा किया कि माधवराव चितले की एक किताब, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित थी, उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इस किताब का संपादन उनकी मां ने किया था, जिससे यह किताब उनकी नजर में आई। किताब को पढ़ने के बाद, उन्होंने महसूस किया कि जो रामायण की छवि हमें सामान्य तौर पर मिलती है, वह वास्तविक वाल्मीकि रामायण से काफी भिन्न है। इस अनुभव ने उन्हें प्रेरित किया और उन्होंने पूरी वाल्मीकि रामायण पढ़ी, जिससे उन्हें इस महाकाव्य की गहराई और सच्चाई को समझने का अवसर मिला।

मर्यादा पुरुषोत्तम होने के बाद भी क्यों भगवान श्री राम ने क्यों फोड़ी थी कौए की आंख?

यशोदीप की खोज का महत्व

यशोदीप की रिसर्च ने यह स्पष्ट किया है कि वाल्मीकि रामायण की वास्तविकता और उसके पात्रों की छवियाँ मीडिया में प्रस्तुत की गई छवियों से बहुत भिन्न हैं। उनका अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि धार्मिक ग्रंथों के वास्तविक संदर्भ और अर्थ को समझने के लिए गहन अध्ययन और शोध की आवश्यकता है। यशोदीप की यात्रा और उनके विचार हमें यह समझने में मदद करते हैं कि धार्मिक और सांस्कृतिक ग्रंथों का सही अध्ययन कितनी महत्वपूर्ण है, और कैसे हमें इन ग्रंथों के वास्तविक संदेश को समझना चाहिए।

कौन थी वो लंका की शक्तिशाली पहरेदार जिसका सामना करने खुद हनुमान जी भी नहीं आये थे सामने?

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

Recent Posts

प्रधानमंत्री आवास योजना की तीसरी किश्त में घोटाला, मोहल्ला तंडोला की हसीना की राशि गायब, बैंक से बड़ा खुलासा

India News (इंडिया न्यूज), Bihar News: नगर के मोहल्ला तंडोला निवासी हसीना के लिए प्रधानमंत्री…

4 hours ago

पटना में गिरफ्तार हुआ करोड़पति चोर, चोरी के तरीकों को जान पुलिस के छूटे पसीने,जाने कैसे करता था चोरी

India News (इंडिया न्यूज), Bihar News: बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसा चोर पकड़ाया…

4 hours ago

गृहमंत्री की बाबा साहेब अंबेडकर पर टिप्पणी पर मनोज प्रसाद का जबरदस्त हमला, क्रयकर्ताओं ने की निंदा

India News (इंडिया न्यूज), Bihar News: माकपा दुबहा ब्रांच की बैठक सोमवार को मस्तकलीपूर में…

4 hours ago

WPL 2025: गुजरात जायंट्स की खिलाड़ी ILT20 से सीख रही हैं युवा क्रिकेटर्स की सफलता की कहानियां

गुजरात जायंट्स की WPL 2025 में नई खिलाड़ी भारती फुलमाली, प्रकाशिका नाइक, और काश्वी गौतम…

4 hours ago