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इन 52 अक्षरों में है इतनी जान जिन्हे पढ़ते ही बन जाते है सारे बिगड़े काम, साइंस के दिमाग से भी ऊपर है ये खेला!

Pryagraj Maha Kumbh: इन 52 अक्षरों में है इतनी जान जिन्हे पढ़ते ही बन जाते है सारे बिगड़े काम

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Pryagraj Maha Kumbh: प्रयागराज के झूंसी हवेलिया स्थित तपोवन आश्रम में महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर दुनिया का पहला 52x52x52 फीट का भव्य महामृत्युंजय यंत्र बनकर तैयार हुआ है। यह यंत्र, जिसे बनाने में लगभग 4 करोड़ रुपये का खर्च आया, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसकी स्थापना का उद्देश्य मानसिक तनाव, अवसाद और आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकना है।

महामृत्युंजय यंत्र का निर्माण और उद्देश्य

इस अद्भुत यंत्र को बनाने में 100 से अधिक कारीगरों ने 52 दिनों तक कठिन परिश्रम किया। इस यंत्र के निर्माण के पीछे स्वामी सहजानंद महाराज का यह उद्देश्य है कि युवाओं और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार हो।

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Pryagraj Maha Kumbh: इन 52 अक्षरों में है इतनी जान जिन्हे पढ़ते ही बन जाते है सारे बिगड़े काम

151 आचार्यों द्वारा महामृत्युंजय मंत्र का जाप

मकर संक्रांति (14 जनवरी) से 151 आचार्य इस यंत्र के नीचे बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हैं। 11 लाख 11 हजार 111 पंचमुखी रुद्राक्षों को अभिमंत्रित किया जा रहा है, जो महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को निशुल्क भेंट किए जाएंगे। ये अभिमंत्रित रुद्राक्ष घर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक होंगे।

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भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में यंत्र की स्थापना की योजना

स्वामी सहजानंद महाराज का मानना है कि भारत में छुपी दिव्य शक्तियों को जागृत करने का समय आ गया है। उनकी योजना के अनुसार, इस महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना भारत के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में की जाएगी। सोमनाथ, केदारनाथ, भीमाशंकर और त्र्यंबकेश्वर जैसे ज्योतिर्लिंगों के अलावा दिल्ली में भी इसका भव्य निर्माण किया जाएगा। यह प्रयास भारत को आध्यात्मिक और आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए किया जा रहा है।

महामृत्युंजय मंत्र और 52 अक्षरों का वैज्ञानिक रहस्य

महामृत्युंजय मंत्र में 52 अक्षर हैं, जो भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में विशेष महत्व रखते हैं। स्वामी सहजानंद महाराज के अनुसार:

  1. भारत में 52 ऊर्जा केंद्र हैं।
  2. मानव शरीर में 52 ध्वनियां और शक्ति केंद्र मौजूद हैं।
  3. हिंदी वर्णमाला में भी 52 अक्षर होते हैं।

यह यंत्र पूरी तरह से वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है और मंत्रों के माध्यम से इसे जागृत किया जा रहा है।

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यंत्र के प्रभाव और लाभ

इस यंत्र का मुख्य उद्देश्य युवाओं में मानसिक अवसाद, तनाव और आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना है। स्वामी सहजानंद महाराज का दावा है कि यह यंत्र:

  • मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाएगा।
  • नकारात्मक विचारों को दूर करेगा।
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनाए रखेगा।

अभिमंत्रित रुद्राक्ष का महत्व

यंत्र के नीचे 11 लाख 11 हजार 111 पंचमुखी रुद्राक्ष रखे गए हैं, जिन्हें महाशिवरात्रि तक अभिमंत्रित किया जाएगा। श्रद्धालुओं को ये रुद्राक्ष निःशुल्क वितरित किए जाएंगे। रुद्राक्ष को लाल धागे में गले में धारण करने से:

  • व्यक्ति को मृत्युभय नहीं रहेगा।
  • नकारात्मक विचार समाप्त होंगे।
  • आत्महत्या की प्रवृत्ति से बचाव होगा।

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महाकुंभ 2025: दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग

प्रयागराज में 144 वर्षों के बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, और अगला ऐसा संयोग 2169 में आएगा। ज्योतिषीय दृष्टि से:

  1. मकर रेखा के कारण प्रयागराज को विशेष महत्व प्राप्त है।
  2. वृषभ राशि में गुरु और मकर राशि में सूर्य का स्थित होना अध्यात्म के दुर्लभ संयोग को दर्शाता है।

महामृत्युंजय यंत्र: भारत के आध्यात्मिक भविष्य की नई नींव

इस यंत्र की स्थापना भारत की आध्यात्मिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का कार्य करेगी। सद्गुरु मां ऊषा, जो एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की हीलर हैं, के अनुसार यह यंत्र आसपास के क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करेगा। हिंसा, नकारात्मकता और आत्महत्या की प्रवृत्ति समाप्त होगी।

कैसे प्राप्त करें अभिमंत्रित रुद्राक्ष?

यदि आप भी इस अद्भुत यंत्र का लाभ उठाना चाहते हैं, तो तपोवन आश्रम, झूंसी, प्रयागराज में जाकर अपना नाम और पता दर्ज करवा सकते हैं। महाशिवरात्रि के बाद अभिमंत्रित रुद्राक्ष डाक द्वारा आपके घर भेजा जाएगा।

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महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह यंत्र महादेव की कृपा प्राप्त करने और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का एक अद्वितीय माध्यम है।

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