India News (इंडिया न्यूज), Ravan Blessed Shree Ram: रामायण की कथा में भगवान श्रीराम का रावण पर विजय प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह विजय केवल शौर्य और बलिदान का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें गूढ़ ज्ञान और दृष्टि की भी भूमिका है। बहुत से लोग यह जानते हैं कि भगवान राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की और माता सीता को मुक्त कराया। लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि रावण ने स्वयं भगवान राम को विजय का आशीर्वाद दिया था।
रावण का ज्ञान और अहंकार
रावण, जो एक महान ज्ञानी और महापंडित थे, अपने ज्ञान के कारण ही प्रसिद्ध थे। उन्होंने वेद, उपनिषद और अन्य ग्रंथों का गहन अध्ययन किया था। किंतु, अपने ज्ञान का अहंकार उनके लिए विनाश का कारण बना। रावण ने अपने ज्ञान को अपनी शक्ति का प्रतीक मान लिया, जो अंततः उनकी मृत्यु का कारण बना।
रामेश्वर में शिव पूजा का निर्णय
युद्ध के पहले, भगवान राम ने यह निर्णय लिया कि वे रावण का वध करने से पहले भगवान शिव की पूजा करेंगे। इसके लिए उन्होंने रामेश्वर में शिवलिंग स्थापित करने का विचार किया। लेकिन इस पूजा को सम्पन्न करने के लिए एक विद्वान पंडित की आवश्यकता थी।
रावण को निमंत्रण
भगवान राम ने जब विद्वान पंडित की तलाश की, तो सभी ने बताया कि रावण से बड़ा कोई ज्ञानी नहीं है। इस कारण, भगवान राम ने रावण को शिव पूजा के लिए निमंत्रण भेजा। रावण, जो एक शिव भक्त थे, इस निमंत्रण को ठुकरा नहीं सके।
पूजा का महत्व
जब रावण पूजा के लिए आए, तो उन्होंने भगवान राम की सेवा की और पूजा को सम्पन्न किया। इस अवसर पर भगवान राम ने रावण से विजय प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। रावण ने अपनी विद्वत्ता और ज्ञान के नाते भगवान राम को “विजयी भव:” का आशीर्वाद दिया। यह एक अद्भुत क्षण था, जो दर्शाता है कि ज्ञान और विद्या का सम्मान हमेशा होना चाहिए, चाहे वह किसी भी पक्ष में हो।
निष्कर्ष
इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि ज्ञान का अहंकार विनाश का कारण बन सकता है, और ज्ञान का सही उपयोग ही सफलता की कुंजी है। भगवान श्रीराम की यह विजय केवल शारीरिक शक्ति का परिणाम नहीं थी, बल्कि यह उनके ज्ञान और रावण के आशीर्वाद का भी फल थी। रावण की विद्वत्ता और भगवान राम की विनम्रता दोनों ने इस कथा को अमर बना दिया है।
मरते समय रावण के इन शब्दों से हिल गई थी लक्ष्मण के पैरों तले जमीन, ये थे रावण के आखिरी कड़वे शब्द?
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