India News (इंडिया न्यूज), Maharani Samavai: आंध्रप्रदेश के तिरुमाला पर्वत की सात पहाड़ियों के बीच बसे तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम जबसे प्रसाद विवाद में आया है, तब से ही मंदिर को लेकर कई अलग-अलग जानकारियां सामने आ रही है। अब तिरुपति मंदिर को लेकर जानकारी जानकारी सामने आई है कि इस मंदिर को एक महारानी ने 23 एकड़ जमीन दी थी। इतना ही नही महारानी ने अपने सारे गहने भी दान कर दिए थे। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर कौन-थी वो महारानी।

जी हां तिरुपति मंदिर का निर्माण 300 ईस्वी में तोंडईमंडलम साम्राज्य के राजा थोंडईमन के शासनकाल में हुआ था। थोंडईमन दक्षिण भारत में तमिलक्कम के प्राचीन तोंडई नाडु (टोंडिमंडलम) डिवीजन के तमिल शासक थे और उनकी राजधानी कांचीपुरम थी। तोंडईमंडलम के बाद दकन का इलाका जिस भी राजवंश के हाथ में आया, उन्होंने तिरुपति को धन संपदा दान की। तिरुपति को सबसे ज्यादा दान देने वालों में पल्लव साम्राज्य की महारानी सामावाई का भी नाम लिया जाता है।

महारानी सामावाई ने दान कर दिए थे अपने सारे गहने

ऐतिहासिक दस्तेवाजों के मुताबिक सामावाई के नाम से मशहूर महारानी श्रीकांदवन पेरुनदेवी (Sri Kandavan Perundevi) की तिरुपति बालाजी में अटूट भक्ति थी। महारानी ने अपने सारे गहने तिरुपति बालाजी मंदिर को दान कर दिए। उन्होंने 23 एकड़ जमीन भी मंदिर को दी। बेहाइंड एवरी टेंपल पर दी गई जानकारी के मुताबिक तिरुपति मंदिर में जो भोग श्रीनिवास की मूर्ति (Bhoga Srinivasa Idol) लगी है, वो भी महारानी ने ही दी थी। सारा खर्च भी उन्होंने उठाया। इतना ही नही महाराणी सामावाई के नाम तिरुपति में एक सड़क भी है। इसका कुछ महीने पहले ही उद्घाटन किया गया था।

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घी सप्लाई करने वाली कंपनी को किया ब्लैक लिस्ट

आपको बता दें कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशु चर्बी और मछली के तेल के अंश मिलने के बाद राज्य की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने लड्डू बनाने के लिए घी सप्लाई करने वाली पुरानी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है. अब ‘नंदिनी’ के नाम से घी बनाने वाले कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को घी सप्लाई का जिम्मा सौंपा गया है।

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