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To Kill the Demon Raktabeej, Goddess Parvati Took the form of Kaalratri. दैत्य रक्तबीज का वध करने के लिए माता पार्वती ने लिया था कालरात्रि रूप

To Kill the Demon Raktabeej, Goddess Parvati Took the form of Kaalratri

नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करने से दुष्टों का अंत होता है। देवी मां के इस रूप को साहस और वीरता का प्रतीक मानते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने दुष्टों का विनाश करने के लिए यह रूप लिया था। नवरात्र के सातवें दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की आराधना की जाती है। इस साल कालरात्रि माता की उपासना 23 अक्तूबर, शुक्रवार यानी आज की जा रही है। देवी दुर्गा का यह रूप क्रोधित हैं। लेकिन कालरात्रि माता अपने भक्तों के लिए कोमल हृदय रखती हैं। मान्यता है कि माता कालरात्रि अपने भक्तों की पुकार बहुत जल्दी सुनती हैं और उन्हें कष्टों से उबारती हैं।

सुबह की पूजा का शुभ मुहूर्त – 23 अक्तूबर, शुक्रवार – सुबह 5 बजकर 11 मिनट से 6 बजकर 27 मिनट तक
शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त झ्र 23 अक्तूबर, शुक्रवार झ्र शाम 5 बजकर 32 मिनट से 5 बजकर 56 मिनट तक

To Kill the Demon Raktabeej, Goddess Parvati Took the form of Kaalratri कालरात्रि माता के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

To Kill the Demon Raktabeej, Goddess Parvati Took the form of Kaalratri कालरात्रि माता की कथा

प्राचीन कथा के अनुसार राक्षस शुम्भ-निशुम्भ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में अपना अत्याचार करना शुरू कर दिया तो देवतागण परेशान हो गए और भगवान शिव के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने देवी पार्वती से दैत्यों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा। भगवान शिव का आदेश प्राप्त करने के बाद देवी पार्वती ने मां दुर्गा का रूप धारण किया और शुम्भ-निशुम्भ का वध किया। लेकिन जैसे ही मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त की बूंदों से लाखों रक्तबीज उत्पन्न होने लगे। तब मां दुर्गा ने मां कालरात्रि के रूप में अवतार लिया। मां कालरात्रि ने इसके बाद रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया, जिससे रक्तबीज का रक्त जमीन पर नहीं गिरा और रक्तबीज पुर्नजीवित नहीं हो पाया। इस प्राचीन कथा में यह बताया गया है कि माता कालरात्रि की कृपा से धरती को राक्षसों से मुक्ति मिली।

To Kill the Demon Raktabeej, Goddess Parvati Took the form of Kaalratri कालरात्रि माता की आरती

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा, महा चंडी तेरा अवतारा।।
पृथ्वी और आकाश पर सारा, महाकाली है तेरा पसारा।।
खंडा खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा।।
सभी देवता सब नर नारी, गावे स्तुति सभी तुम्हारी।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना।।
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे, महाकाली मां जिसे बचावे।।
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह, कालरात्रि मां तेरी जय।।

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