India News (इंडिया न्यूज),Lord Ganesh:गणेश चतुर्थी को लोग बप्पा के जन्मदिन के रूप में बड़े धूमधाम और उत्साह से मनाते हैं। श्री गणेश की पूजा करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें घर लाने से घर में शुभता बनी रहती है। भगवान गणेश के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद हैं, इसलिए इसका भोग लगाने के साथ ही पूजा में उन्हें रोली, अक्षत, दूर्वा, फूल, इत्र, सिंदूर आदि अर्पित किए जाते हैं। लेकिन भगवान गणेश को कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है, जो माता तुलसी से जुड़ी है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब गणेश जी गंगा नदी के तट पर ध्यान कर रहे थे, तो देवी तुलसी वहाँ से गुज़रीं। उन्होंने युवा गणेश को ध्यान में लीन देखा। वह रत्नजटित सिंहासन पर बैठे थे। उनका पूरा शरीर सुगंधित चंदन से ढका हुआ था, उनके गले में पारिजात के फूलों के साथ सोने और कीमती पत्थरों के कई खूबसूरत हार थे और उनकी कमर के चारों ओर बहुत नरम रेशम का लाल और पीला कपड़ा था। देवी तुलसी गणेश के इस सुंदर रूप से मोहित हो गईं और उन्होंने भगवान गणेश से विवाह करने की इच्छा जताई।
माता तुलसी ने भगवान गणेश के ध्यान में विघ्न डाला और उनसे विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। इस पर भगवान गणेश न सिर्फ क्रोधित हुए बल्कि माता तुलसी की मंशा जानने के बाद उन्होंने खुद को ब्रह्मचारी बताकर उनके विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। विवाह प्रस्ताव अस्वीकार होने पर तुलसी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गणेश जी को श्राप दे दिया कि उनके एक नहीं बल्कि दो विवाह होंगे। यही वजह है कि आज भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं- ऋद्धि और सिद्धि। लेकिन गणेश जी तुलसी माता के श्राप से क्रोधित हो गए और उन्होंने तुलसी को भी श्राप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा।
इन दो भगवानों से है शनिदेव का स्पेशल कनेक्शन, जिंदगी को स्वर्ग बनाना है तो आज ही कर डालें ये 5 उपाय
राक्षस की पत्नी होने का श्राप सुनकर माता तुलसी डर गईं और उन्होंने तुरंत गणेश जी से क्षमा मांगी। तब गणेश जी ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह दैत्य शंखचूर्ण से होगा। शंखचूर्ण दैत्यराज दंभ का पुत्र था। दंभ ने भगवान विष्णु की तपस्या कर तीनों लोकों के लिए अजेय और शक्तिशाली पुत्र के रूप में शंखचूड़ को मांगा था।
गणेशजी ने माता तुलसी से यह भी कहा कि भगवान विष्णु की प्रिय होने के साथ-साथ तुम कलियुग में मोक्ष देंगी और पौधे के रूप में पूजी जाओगी, लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा। माता तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है, लेकिन मान्यता है कि तभी से भगवान श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी चढ़ाना वर्जित माना जाता है।
वनवास के दौरान भगवान राम ने खुद बनाई थी ये अलौकिक चीजें…शिव से जुडी इस वास्तु की भी की थी स्थापना?
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Justin Trudeau:भारत को धमकी देने वाले कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस समय डोनाल्ड…
Rules regarding CM Residence: दिल्ली की सीएम आतिशी ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि…
हाल ही में चीन में एचएमपीवी के कई मामले सामने आए थे, जिसके बाद भारत…
India News (इंडिया न्यूज़)Shahjahanpur News: शाहजहांपुर में आठ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आसाराम को…
Man father of 87 kids: अमेरिका का एक शख्स 1-2 नहीं बल्कि 87 बच्चों का…
उधर अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर पर हो रहा है है खूनी खेला, इधर तालिबान के साथ मिलकर…