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Tulsi Vivah 2021 : भगवान विष्णु शालिग्राम के रूप में वृंदा रूपी तुलसी से विवाह करते हैं

Tulsi Vivah 2021 : प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन या देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। यह विवाह मां तुलसी और शालिग्राम के साथ होता है। जिसके साथ माता वृंदा की कथा जुड़ी है। आज हम आपको तुलसी विवाह की कथा और मां वृंदा और श्रीहरी की कथा के बारे में बताएँगे।

तुलसी और शालिग्राम का परिचय Tulsi Vivah 2021

तुलसी का संबंध विष्णु भक्त माता वृंदा से है। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी जिसका सतीत्व भी भगवान विष्णु की वजह से ही भंग हुआ था। तुलसी माता के साथ हमेशा शालिग्राम रहते हैं जो भगवान श्रीहरी अर्थात भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करते है। इस दिन तुलसी माता व भगवान शालिग्राम का विवाह करवाया जाता है।

यह है तुलसी विवाह की कथा Tulsi Vivah 2021

एक समय में जलंधर नामक एक भयानक राक्षस हुआ करता था जो अत्यंत पराक्रमी व वीर था। शक्तिशाली होने के साथ-साथ उसने अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग किया था और ऋषि-मुनियों और देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। उसके पराक्रम से देवलोक में सभी त्रस्त थे लेकिन कोई भी उसे हरा पाने में सक्षम नही था।

पति की शक्ति का कारण थी पत्नी Tulsi Vivah 2021

उसकी शक्ति का असली कारण वह स्वयं नही अपितु उसकी पत्नी वृंदा थी। वृंदा एक पतिव्रता नारी थी और साथ ही भगवान विष्णु की परम भक्त भी। वह जब भी युद्ध करने जाता तब अपनी पत्नी के सतिव्रत के कारण अविजयी रहता। इसी से परेशान होकर सभी देवतागण वैकुंठ में भगवान विष्णु से सहायता मांगने गए।

जब श्रीहरी स्वयं बने थे जलंधर राक्षस Tulsi Vivah 2021

तब देवताओं की सहायता करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु ने वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग करना ही इसका एकमात्र उपाय बताया। इसके लिए श्रीहरी ने स्वयं जलंधर राक्षस का रूप धरा और वृंदा के पास चले गए। वृंदा भगवान विष्णु की माया में आ गयी और उन्हें अपना पति समझ बैठी।

भगवान विष्णु के द्वारा वृंदा को स्पर्श करते ही उसका पतिव्रत धर्म भंग हो गया। उसी समय जलंधर राक्षस का देवताओं के साथ भीषण युद्ध चल रहा था। वृंदा के पतिव्रत धर्म के भंग होते ही उसकी शक्ति क्षीण हो गयी व उसकी पराजय हुई। देवताओं ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया व उसका मस्तक कटकर वृंदा के आँगन में आ गिरा।

जब विलाप करने लगी वृंदा Tulsi Vivah 2021

वृंदा अपने पति का कटा मस्तक देखकर हतप्रद रह गयी व अपने सामने खड़े जलंधर को अधीर होकर देखने लगी। उसने उसे अपने असली रूप में आने का कहा। इतना कहते ही भगवान विष्णु अपने श्रीहरी रूप में उसके सामने प्रकट हो गए। वृंदा यह देखकर विलाप करने लगी व अपने ही भगवान के द्वारा इस प्रकार का छल किये जाने पर अत्यधिक क्रोधित हो गयी। इसी क्रोध में उसने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया क्योंकि उन्होंने पत्थर दिल से अपनी भक्त का हृदय तोड़ दिया था।

जब देवता मांगने लगे क्षमा Tulsi Vivah 2021

उसी समय सभी देवता भी वहां आ गए और माता वृंदा से अपना श्राप वापस लेने की याचना करने लगे। श्रीहरी कुछ नही बोल रहे थे और वही चुपचाप खड़े थे। सभी देवताओं के द्वारा आग्रह किये जाने पर माता वृंदा ने अपना श्राप वापस ले लिया और अपनी पति जलंधर के साथ वही सती हो गयी।

माता वृंदा का भगवान विष्णु को श्राप Tulsi Vivah 2021

एक मान्यता के अनुसार माता वृंदा ने इसके अलावा भगवान विष्णु को एक श्राप और दिया था। उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार उन्होंने अपनी भक्त के साथ छल किया है और पति वियोग दिया है ठीक उसी प्रकार उन्हें मृत्यु लोक में जन्म लेना पड़ेगा। उनकी पत्नी का भी सतीव्रत धर्म भंग होगा और उन्हें भी पत्नी का वियोग सहना पड़ेगा।

श्राप से हुआ था सीता हरण Tulsi Vivah 2021

इसी श्राप के फलस्वरूप भगवान विष्णु के सातवें रूप भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता का पापी रावण के द्वारा हरण हुआ था। उसके पश्चात उन्हें माता सीता का वियोग भी सहना पड़ा था। हालांकि इस घटना का कारण महर्षि भृगु के द्वारा भगवान विष्णु को दिए गए श्राप से भी जोड़ा जाता है।

भगवान विष्णु का वृंदा को वरदान Tulsi Vivah 2021

वृंदा के सती होने के पश्चात भगवान विष्णु के वरदान से वहां तुलसी का पौधा प्रकट हो गया। श्रीहरी वही खड़े पश्चाताप की अग्नि में जल रहे थे और अपनी भक्त की ऐसी स्थिति को देखकर व्यथित थे। उन्होंने उसी समय वृंदा के सतिव्रत को ध्यान में रखते हुए उसे ऐसा वरदान दिया कि जिससे वृंदा इतिहास में अमर हो गयी।

उन्होंने वृंदा को वरदान दिया कि उसका श्राप मिथ्या नहीं जाएगा तथा श्रीहरी का एक रूप शालिग्राम पत्थर के रूप में हमेशा तुलसी के साथ रहेगा। उन्होंने कहा कि आगे से मेरी पूजा में तुलसी का स्थान माँ लक्ष्मी से भी ऊपर रहेगा तथा मेरी कोई भी पूजा तुलसी के बिना पूरी नही मानी जाएगी।

तुलसी विवाह के दिन क्या करना चाहिए Tulsi Vivah 2021

इस दिन तुलसी जी के पौधे को खुले स्थान में या घर के आंगन में रखे और गन्ने का मंडप सजाए। शालिग्राम को तुलसी जी के बायी ओर रखे और माता तुलसी को लाल चुनरी चढ़ाये। दोनों पर हल्दी चढ़ाये व पूरे विधि-विधान के साथ तुलसी जी की कथा पढ़े और उनका विवाह करवाए। अंत में तुलसी के पौधे की परिक्रमा करके विवाह संपन्न करवाए।

कहां पाया जाता है शालिग्राम Tulsi Vivah 2021

शालिग्राम मुख्यतया गंडकी नदी में पाया जाता है। यह नदी हिमालय के पर्वतों से निकलकर दक्षिण-पश्चिम में बहती हुई भारत की भूमि में प्रवेश करती है। इसका बहाव मुख्य रूप से नेपाल देश व बिहार राज्य में हैं। इसके अन्य नाम गंडक और नारायणी भी है।

तुलसी विवाह का महत्व Tulsi Vivah 2021

तुलसी विवाह से व्यक्ति को सौभाग्य प्राप्त होता हैं। जो विवाह की प्रतीक्षा कर रहे हैं उनका बिना किसी अड़चन के विवाह संपन्न होता हैं। जिनका विवाह हो चुका हैं उनके दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं। जिनके घर में कन्या नही हैं उन्हें भी कन्यादान का फल मिलता हैं।

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Sunita

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