Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी का व्रत इस साल काफी खास होने वाला है। क्योंकि इस दिन एक नहीं बल्कि चार शुभ योग बन रहे हैं। जी हां, इस शुभ योगों में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी और साथ ही हर कष्ट से छुटकारा मिलने के साथ-साथ पापों से मुक्ति भी मिलेगी।

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस बार उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर 2022 को पड़ रही है। यहां जानिए उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

उत्पन्ना एकादशी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

  • उत्पन्ना एकादशी तिथि- 20 नवंबर 2022 रविवार
  • मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि आरंभ- 19 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू
  • मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि समाप्त- 20 नवम्बर 2022 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक
  • पारण का समय- 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक

उत्पन्ना एकादशी 2022 पर शुभ योग

  • प्रीति योग- 20 नवंबर को सुबह से लेकर रात 11 बजकर 04 मिनट तक
  • आयुष्मान योग- 20 नवंबर को रात 11 बजकर 04 मिनट से 21 नवंबरको रात 09 बजकर 07 मिनट
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 20 नंवबर को सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट
  • अमृत सिद्धि योग- 20 नंवबर को सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक

इस वजह से कहते हैं इसे उत्पन्ना एकादशी

कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और मुर नामक राक्षस के बीच भीषण युद्ध हो रहा था। युद्ध के बीच में भगवान विष्णु काफी थक गए, तो वो बद्रिकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। इसी बीच राक्षस मुर भगवान विष्णु का पीछा करता हुए उस आश्रम में आ गया और विश्राम करते हुए विष्णु जी को मारना चाहा। तभी विष्णु जी के शरीर से एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने राक्षस का वध कर दिया। ये घटना मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन हुई थी। देवी से भगवान विष्णु काफी प्रसन्न हुए और उनका नाम एकादशी रख दिया। श्री हरि के शरीर से उत्पन्न होने के कारण उनका नाम उत्पन्ना एकादशी रख दिया गया।

उत्पन्ना एकादशी 2022 का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन देवी प्रकट हुई। इसलिए इस दिन देवी एकादशी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन विधिवत रूप से पूजा करने के साथ व्रत रखने से तीर्थों का फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही वह व्यक्ति मोह माया से मुक्त हो जाता है। इसके साथ ही मृत्यु के बाद विष्णु लोक को जाता है।