Hindi News / Dharam / Varanasi Kashi Ka Gangaajal Kyon Nahin Laana Chaahie Baahar Why Should Ganga Water Not Be Taken Out From Kashi

जिसमे धुल जाते है सारे पाप मिल जाता है मोक्ष, आखिर क्यों उसी पवित्र जल को नहीं होती बाहर लाने की इजाजत?

Kashi Ka Gangaajal: काशी का गंगाजल क्यों नहीं लाना चाहिए बाहर

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Kashi Ka Gangaajal: गंगाजल भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखता है। इसे पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। गंगा के जल का उपयोग पूजा-अर्चना, धार्मिक अनुष्ठानों और जीवन के विभिन्न पवित्र कार्यों में किया जाता है। हालांकि, काशी से गंगाजल लेकर बाहर जाना एक विवादास्पद और गंभीर धार्मिक अनुचितता मानी जाती है। इस मान्यता के पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक तर्क निहित हैं।

काशी का महत्व और गंगाजल की पवित्रता

काशी, जिसे वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय धर्म और संस्कृति में सबसे पवित्र नगरी मानी जाती है। यहां गंगा नदी की धारा मोक्ष का प्रतीक मानी जाती है। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार, काशी से गंगाजल लेकर बाहर जाना महापाप की श्रेणी में आता है।

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Kashi Ka Gangaajal: काशी का गंगाजल क्यों नहीं लाना चाहिए बाहर

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क्या है इसका धार्मिक कारण?

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि गंगाजल में नज़र न आने वाले जीव-जंतु, जैसे सूक्ष्म कीड़े-मकोड़े, भी निवास करते हैं। जब काशी से गंगाजल बाहर ले जाया जाता है, तो ये जीव भी काशी से बाहर चले जाते हैं। काशी में आने का उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है, और इन जीवों को काशी से बाहर ले जाना उन्हें मोक्ष के अवसर से वंचित करने के समान है। यह कृत्य पाप का कारण बनता है।

काशी भेजना पुण्य और काशी से दूर करना पाप

शंकराचार्य के अनुसार, किसी को काशी भेजना पुण्य का कार्य है क्योंकि यह व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति के करीब ले जाता है। इसके विपरीत, काशी से किसी को दूर करना पाप का कार्य माना जाता है। गंगा की धारा में अगर कोई जीव स्वाभाविक रूप से बहकर बाहर चला जाए, तो यह अलग बात है। लेकिन किसी दूसरे के माध्यम से ऐसा करना अनुचित है।

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काशी की आध्यात्मिक ऊर्जा

काशी को मोक्षधाम माना जाता है। यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा और गंगा की पवित्रता आत्मा की शुद्धि और मोक्ष के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसीलिए काशी से गंगाजल या वहां निवास करने वाले सूक्ष्म जीवों को बाहर ले जाना काशी की आध्यात्मिक परंपराओं के विपरीत है।

काशी और गंगा का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक गहन और व्यापक है। काशी से गंगाजल बाहर ले जाने की परंपरा को नकारने के पीछे यह विश्वास है कि हर जीव को काशी में मोक्ष प्राप्त करने का अधिकार है। इसलिए, हमें इन धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए काशी और गंगाजल की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।

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