India News (इंडिया न्यूज), Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत और वट पूर्णिमा व्रत को लेकर कई बार लोगों असमंजस की स्थिति बनी रहती है। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है और वट पूर्णिमा व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। वट सावित्री अमावस्या 6 जून को और वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 21 जून 2024 को मनाया जाएगा, तो चलिए जानते हैं आखिर दोनो के बीच क्या अंतर है।
वट सावित्री और वट पूर्णिमा व्रत में अंतर
1. वट सावित्री व्रत अमावस्या को मनाया जाता है जबकि वट पूर्णिमा व्रत पूर्णिमा को मनाया जाता है।
2. पूर्णिमांत कैलेंडर में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है, जिस दिन शनि जयंती भी होती है। अमंत कैलेंडर में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है।
3. वट सावित्री अमावस्या व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में विशेष रूप से प्रचलित है, जबकि वट पूर्णिमा व्रत महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में प्रचलित है।
4. स्कंद और भविष्य पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, लेकिन निर्णयमृतादि के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाना चाहिए।
5. पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जिसे वट सावित्री अमावस्या कहते हैं, जबकि अमांत पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे वट पूर्णिमा व्रत भी कहते हैं।
6. दोनों ही व्रतों के दौरान महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और उसके चारों ओर धागा बांधती हैं।
7. वट वृक्ष की पूजा और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के कारण यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। सती सावित्री की कथा सुनने और सुनाने से सुहागिन महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है। यह व्रत सभी प्रकार की महिलाएं (अविवाहित, विवाहित, विधवा, संतान वाली, पुत्र वाली आदि) रखती हैं। महिलाएं अखंड सौभाग्य की मंगल कामना के साथ यह व्रत रखती हैं।