India News (इंडिया न्यूज़), Vivah Jyotish: हिंदू रीति-रिवाजों में विवाह से पहले वर-वधू की कुंडली मिलाने का नियम है। इस दौरान यह जानकारी प्राप्त की जाती है कि दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा या नहीं। इसमें गुण, गण, मैत्री, भाग्य, प्रकृति, नाड़ी और भकूट दोष का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। ज्योतिषी इसी से बताते हैं कि वर-वधू का विवाह स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं। इन सभी में भकूट दोष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं, भकूट दोष क्या है और इसके उपाय क्या हैं?
क्या है भकूट दोष?
ज्योतिष के अनुसार कुंडली मिलान के दौरान यदि वर-वधू की कुंडली में चंद्रमा 6-8, 9-5 या 12-2 भाव में स्थित हो तो इससे भकूट दोष बनता है। यदि कुंडली में 6-8 का भकूट दोष हो तो विवाह के बाद शारीरिक कष्ट होता है। यदि 9-5 का मिलन हो तो संतान प्राप्ति में देरी के संकेत मिलते हैं और वैवाहिक संबंध खराब होते हैं। अगर यह 12-2 है तो यह आर्थिक समस्याओं का कारण बनता है।
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भकूट दोष के उपाय
अगर किसी कारणवश विवाह हो चुका है और कुंडली में भकूट दोष है तो इसका पूर्ण निवारण नहीं हो पाता। लेकिन कुछ उपाय करके इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। सबसे पहले महामृत्युंजय मंत्र का निरंतर जाप करें और भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं। इसके साथ ही विवाह के बाद पत्नी को गुरुवार का व्रत अवश्य रखना चाहिए। इससे परिवार में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही गुरुवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद हल्दी को जल में मिलाकर केले के पौधे पर चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही प्रतिदिन नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इन उपायों को करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
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