India News (इंडिया न्यूज), Aghori Sadhu Tantra Siddhi: अघोरी साधुओं का जीवन सदैव से रहस्यमयी और अद्भुत माना गया है। इनके बारे में जो भी सुना जाता है, वह एक अलग ही संसार का अनुभव देता है। राख से लिपटा शरीर, गले में हड्डियों की माला और मानव खोपड़ी धारण करने वाले अघोरी साधु तंत्र विद्या के सबसे बड़े सिद्ध माने जाते हैं। अघोरी साधु का जीवन साधारण मनुष्यों से बिल्कुल अलग होता है। वे श्मशान को अपना साधना स्थल मानते हैं और वहां कठिन तपस्या करते हैं। आइए, इनके जीवन और साधनाओं के रहस्यों को विस्तार से समझते हैं।
श्मशान साधना का केंद्र
अघोरी साधु मुख्य रूप से श्मशान घाटों पर निवास करते हैं। उनका मानना है कि श्मशान वह स्थान है जहां भौतिक और आध्यात्मिक संसार के बीच की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। वे यहां कठोर साधना करते हैं, जिसमें मुर्दों का मांस और मदिरा का भोग लगाया जाता है। यह साधनाएं न केवल उनकी आत्मशक्ति को बढ़ाती हैं, बल्कि उन्हें तंत्र विद्या में निपुण बनाती हैं।
तीन मुख्य साधनाएं
अघोरी साधुओं को सिद्ध बनने के लिए तीन मुख्य साधनाओं से गुजरना पड़ता है। ये साधनाएं पूरी तरह गुप्त होती हैं और श्मशान के अंदर ही पूरी की जाती हैं।
1. शव साधना
शव साधना अघोरी साधुओं की सबसे कठिन साधनाओं में से एक है। रात के समय, श्मशान में, एक मुर्दे के पास घंटों तक तपस्या की जाती है। इस साधना के चरम पर, ऐसा माना जाता है कि मुर्दा बोलने लगता है।
- शव साधना में अघोरी मुर्दे को मांस और मदिरा का भोग लगाते हैं।
- साधना के दौरान मुर्दा अघोरी साधु की हर इच्छा को पूरा करने के लिए तैयार हो जाता है।
टांगे ऊपर खोपड़ी नीचे…पूरे 40 दिन तक क्यों एक शव के साथ इतनी क्रूरता करते हैं अघोरी साधु?
2. शिव साधना
इस साधना में अघोरी भगवान शिव की आराधना करते हैं।
- मुर्दे को मांस और मदिरा का भोग लगाने के बाद, अघोरी उसकी छाती पर खड़े होकर तपस्या करते हैं।
- यह साधना भगवान शिव और मां काली के प्रसंग पर आधारित है, जिसमें मां काली ने शिव जी की छाती पर पैर रखा था।
- यह साधना घंटों चलती है और अघोरी की शक्ति को कई गुना बढ़ा देती है।
3. श्मशान साधना
श्मशान साधना में अघोरी साधु के साथ मृतक का परिवार भी शामिल होता है।
- इस साधना में मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है।
- हवनकुंड जलाकर गंगा जल चढ़ाया जाता है और प्रसाद में दूध से बने मावे का भोग लगाया जाता है।
- यह साधना श्मशान की पवित्रता और वहां की ऊर्जा का आह्वान करती है।
राख और काले चोगे का महत्व
अघोरी साधु अपने शरीर पर चिता की राख लपेटते हैं, जो शुद्धि और त्याग का प्रतीक है। इसके बाद, वे काला चोगा धारण करते हैं और भगवान शिव का ध्यान करते हुए अपनी साधनाओं को प्रारंभ करते हैं।
अघोरी साधु की सिद्धि
ऐसा माना जाता है कि इन तीनों साधनाओं को सही प्रक्रिया से करने वाला अघोरी अपराजित हो जाता है। वह हर असंभव कार्य को संभव करने की क्षमता रखता है।
अघोरी साधुओं का जीवन और उनकी साधनाएं न केवल रहस्यमयी हैं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और तांत्रिक ज्ञान से भरी हुई हैं। उनकी साधनाएं आत्मशक्ति को जागृत करती हैं और उन्हें तंत्र विद्या का अद्वितीय ज्ञाता बनाती हैं। यह जीवन साधारण मनुष्य के लिए कठिन और असंभव लग सकता है, लेकिन अघोरी इसे भगवान शिव की भक्ति और आत्मिक उत्थान का मार्ग मानते हैं।
जहरीला हो जाएगा पानी! महाकुंभ में आए अघोरी बाबा की रुह कंपा देने वाली भविष्यवाणी, थरथारा गए लोग!
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।