What is the auspicious time of Diwali : दिवाली की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 2 नवंबर को धनतेरस है और उसके बाद 4 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। इस पर्व को लेकर तमाम तैयारियां की जाती हैं। सुख और समृद्धि लाने वाले इस त्योहार को लेकर वैसे तो तमाम मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, लेकिन तंत्र शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें रखने से घर में कभी भी पैसे की कमी नहीं होती है। हम आपको दिवाली का शुभ मुहूर्त और लक्ष्मी पूजन विधि की जानकारी देंगे।

दिवाली 2021 शुभ मुहूर्त (What is the auspicious time of Diwali)

अमावस्या तिथि का प्रारंभ – 04 नवंबर 2021 (गुरुवार) को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त – 05 नवंबर 2021 (शुक्रवार) को प्रातः 02 बजकर 44 मिनट तक

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (What is the auspicious time of Diwali)

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 04 नवंबर शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक

प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 5 बजकर 34 मिनट से रात 8 बजकर 10 मिनट तक

वृषभ काल मुहूर्त- शाम 6 बजकर 10 मिनट से रात 8 बजकर 06 मिनट तक

लक्ष्मी पूजन की विधि (What is the auspicious time of Diwali)

लक्ष्‍मी पूजन के लिए मंदिर या पूजन स्थल को गंगाजल से साफ करें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं और इस पर चावल के आटे से रंगोली बनाएं।  अब इस पर माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि लक्ष्मी की दाईं दिशा में श्रीगणेश रहें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।  इसके दाईं या बाईं ओर एक मुट्ठी अनाज रखें।

इसके बाद एक कलश लें और उसे पानी, एक सुपारी, गेंदे का एक फूल, सिक्के और चावल से भरें। अब इस कलश पर एक नारियल लाल कपड़े में लपेट कर इस प्रकार रखें कि उसका केवल अग्रभाग ही दिखाई दे। नारियल के चारों ओर आम के 5 पत्‍ते लगाएं।

अब दो बड़े दीपक लेकर एक में घी और दूसरे में तेल भरकर रखें। एक को मूर्तियों के चरणों में और दूसरे को चौकी की दाईं तरफ रखें।  एक दीपक भगवान गणेश के चरणों में रखें।

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अब माँ लक्ष्मी और गणेश जी के माथे पर हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं।  फिर शुभ मुहूर्त के समय जल, मौली, अबीर, चंदन, गुलाल, चावल, धूप, बत्ती, गुड़, फूल, धानी, नैवेद्य आदि लेकर सबसे पहले पवित्रीकरण करें। अब तेल से भरे न्यूनतम  26 दीपक जलाएं।

इसके बाद अपने व्‍यापार या पेशे से जुड़े बही-खातों और कलम आदि की पूजा कर नए लिखने की शुरुआत करें।

अब माँ लक्ष्मी का आह्वान करें और उन्‍हें फूल और चावल अर्पित करें।  देवी को फल और मिठाई का भोग लगाएं और उनके सामने नारियल, पान के पत्‍ते पर सुपारी रखें।  इसके बाद गणेशजी, लक्ष्मीजी व अन्य देवी-देवताओं का विधिवत षोडशोपचार पूजन, श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष सूक्त का पाठ करें और आरती उतारें।

पूजा के बाद दीपक घर के कमरों में, तिजौरी के पास, आंगन और घर के सभी कोनों पर जलाकर रखें।

What is the auspicious time of Diwali

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