होम / 10/11 जून को मनाएं निर्जला एकादशी

10/11 जून को मनाएं निर्जला एकादशी

Mukta • LAST UPDATED : June 3, 2022, 5:47 pm IST
  • पशु-पक्षियों को भी पिलाएं जल ताकि सुरक्षित रहे आने वाला कल, पर्यावरण को रखें शुद्ध और गन्दगी के रहो विरुद्ध

    मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्

Madan Mohan spatu

इस बार निर्जला एकादशी 10 जून ,शुक्रवार की प्रातः 7ः27 पर आरंभ होकर अगले दिन 11 जून, शनिवार की सुबह 5ः.46 तक रहेगी। इस वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी का क्षय होने के कारण, स्मार्त अर्थात गृहस्थ लोगों को, 10 तारीख के दिन व्रत रखना चाहिए और वैष्णवों अर्थात – सन्यासी, विधवा, वानप्रस्थ तथा वैष्णव सम्प्रदाय वाले लोग, 11 जून के दिन उपवास रख सकते हैं।

भगवान विष्णु उपासना कर प्राप्त करे पुण्य

इस दिन निराहार व्रत रख कर भगवान विष्णु उपासना तथा यथाशक्ति दान करने से सभी एकादशियों के पुण्य प्राप्त हो जाते हैं। एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्य निकलने तक जल ग्रहण न करने के विधान के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। पूरे साल की 24 एकादशियों के व्रतों को न भी किया जाए तो भी इस अकेले निर्जला एकादशी का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है।

इस साल यह एकादशी पड़ रही है तुला राशि पर

इस साल यह एकादशी तुला राशि पर पड़ रही है। यह व्रत अत्याधिक श्रम – साध्य होने के साथ साथ , कष्ट एवं संयम साध्य भी है। यह एक शारीरिक परीक्षण का दिन भी है जब आप अपनी शारीरिक क्षमता का परीक्षण कर सकते हैं कि आप कैसे भूखे प्यासे एक दिन क्या संयम से निकाल सकते हैं? कुछ हद तक यह व्रत करवा चौथ से मिलता जुलता है।

भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं इसे

ज्येष्ठ मास की इस शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पांडवों ने भी व्रत रखा था। इस लिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। ऐसा व्रत जल के अभाव में, आपात काल में भी जीना सिखाता है। ऐसे व्रत हमारे धर्म, संस्कृति और देश में किसी न किसी उदे्श्य से रखे गए हैं ताकि हम जीवन में किसी भी आपात स्थिति से निपट सकें।

ठंडे जल की छबीलें लगाने की प्रथा

गर्मी से समाज के सभी वर्गों को राहत मिले , इसी लिए इन दिनों मीठे व ठंडे जल की छबीलें लगाने की प्रथा, उत्तर भारत में सदियों से चली आ रही है। इसी कारण हमारे धर्म में आज के दिन खरबूजे, पंखे , छतरियां, आसन, फल, जूते, अन्न, भरा हुआ जल क्लश आदि दान करने का प्रावधान हैं ताकि सबल समाज द्वारा, निर्बल और असहायों की सहायता हो और हमारे देश के जीवन दर्शन- सरबत दा भला क्रियात्मक रुप में प्रचारित एवं प्रसारित किया जा सके।

पशु- पक्षियों को भी पिलाये जल

निर्जला एकादशी पर हम केवल मनुष्य वर्ग, को ही जल पिलाते हैं और पशु- पक्षियों को भूल जाते हैं। र्प्यावरण की दृष्टि से पक्षियों को भी जल तथा दाना चुग्गा दें और गायों को भी उनकी आवश्यकतानुसार खाद्य पदार्थ एवं जल दें।

व्रत विधि

प्रातः स्नान के बाद एक जल क्लश को भर कर पूजा स्थान पर रख कर सफेद वस्त्र से ढंक दें । ढक्क्न पर चीनी या कोई मिष्ठान व दक्षिणा रख दें। ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें । रात्रि में भजन कीर्तन करें।धरती पर विराम या शयन करें । यथा शक्ति ब्राहमण अथवा जरुरत मंदों को यह क्लश दान दें।

राशि अनुसार क्या दान करें

मेष- सात अनाज या पका हुआ दान करें। गायों को जल व भोजन दें।

बृष- सफेद वस्त्रों का दान करेगा कल्याण।पशु-पक्षियों के लिए,जल की व्यवस्था करें।

मिथुन- हरे फल, आम, खरबूजे का दान लाएगा गृहस्थी में हरियाली।

कर्क- कहीं जल की व्यवस्था, वाटर कूलर ,पंखे , कूलर का दान रखेगा कर्क रोग से दूर।

सिंह- एयर कंडीशनर या धर्म स्थानों पर विद्युत उपकरण लगाएंगे, जीवन में सुख समृद्धि एवं वृद्धि पाएंगे।

कन्या – अनाथालय या लंगर में हरी सब्जियां व खरबूजे दान करें।

तुला- आपकी राशि में है निर्जला एकादशी मीठे जल या पेय की छबील लगाएं।

बृश्चिक – भगवान विष्णु का स्मरण और तरबूज का दान लाभकारी सिद्ध होगा।

धनु- पीला ठंडा केसर युक्त दूध वितरित करें।

मकर- छतरी , जल पात्र, कलश का दान बढ़ाएगा मनोबल।

कुंभ- जल से भरा कुंभ, कूलर, फ्रिज, वाटर कूलर यथा शक्ति दान करें।

मीन- ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का पाठ और सर्व भूत हिते रताः की भावना से सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पेड़ लगाना आपको निरोगी काया, औरों को छाया देगा।

निर्जला एकादशी पूजा विधि

* एकादशी के दिन सुबह सुबह स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करें

* पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं

* घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें

* भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।

* भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

* भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एकादशी व्रत की कथा को पढ़े या एकादशी व्रत की कथा को सुनें

* अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

* भगवान की आरती करें।

* भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।

* इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

* इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

* वह व्रत रखने वाले को इस दिन जल और भोजन का उपयोग नहीं करना है और व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

* निर्जला एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को 24 घंटे तक अन्न और जल का त्याग करके भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।

निर्जला एकादशी व्रत के लाभ

मन शुद्ध होता है। एकाग्रता बढ़ती है। माया मोह के बंधन से मुक्ति मिलती है। आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले को जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। उसे स्वर्ग में विशेष स्थान प्राप्त होता है।

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !

ये भी पढ़े : खुशहाल जीवन के लिए अपनाएं कड़वे वचन

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

Tags:

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

Delhi Traffic Challan: ट्रैफिक चालान करवाना चाहते है माफ? दिल्ली पुलिस की साइट पर जाकर ऐसे करें ऑनलाइन बुकिंग-Indianews
Punjab AAP: विपक्षी दलों के कई दिग्गज नेताओं के शामिल होने से बढ़ी AAP की ताकत
प्रियंका चोपड़ा, जस्टिन बीबर से रिहाना तक, Met Gala 2024 में क्यों शामिल नहीं हुए ये कलाकार -Indianews
Lok Sabha Election Phase 3: बंगाल में मतदान के दौरान हुआ हिंसा, भाजपा उम्मीदवार से भिड़ा टीएमसी का बूथ कार्यकर्ता-Indianews
Rajasthan: फोन लेकर स्कूल में प्रवेश किया तो होगा बुरा हाल, राजस्थान सरकार ने शिक्षकों पर लगाई बड़ी पाबंदी-Indianews
PM Modi: यह पहली बार है जहां…, मां को याद करके भावुक हुए पीएम मोदी-Indianews
Lok Sabha Election 2024: रायबरेली और अमेठी चुनाव, प्रियंका के साथ गहलोत और बघेल बनायेंगे जीत की रणनीति
ADVERTISEMENT