होम / दिवाली की रात जब लोग करते है ये नीच काम…न सिर्फ आज से बल्कि महाभारत काल में भी इस चीज ने कर दिया था सबका नाश?

दिवाली की रात जब लोग करते है ये नीच काम…न सिर्फ आज से बल्कि महाभारत काल में भी इस चीज ने कर दिया था सबका नाश?

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 24, 2024, 12:00 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Diwali 2024: दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख त्योहार है जिसे रोशनी, समृद्धि और नए सिरे से जीवन की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, इस पावन त्योहार के साथ एक और प्रथा जुड़ी हुई है—जुआ खेलना। भारत के कई हिस्सों में दिवाली के दिन जुआ खेलना एक परंपरा बन चुकी है, खासकर शहरों और कस्बों में लोग इसे बड़े पैमाने पर खेलते हैं।

पौराणिक मान्यता

दिवाली पर जुआ खेलने की प्रथा के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि दिवाली की रात भगवान शिव ने देवी पार्वती के साथ चौसर खेला था, जिसमें भगवान शिव हार गए थे। इस घटना के बाद से यह परंपरा आरंभ हुई कि दिवाली की रात जुआ खेलने से पूरे साल के लिए सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हालाँकि, यह सिर्फ एक मान्यता है, और किसी भी प्राचीन धार्मिक ग्रंथ में इस घटना का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है।

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महाभारत का उदाहरण और जुए के दुष्परिणाम

जुआ खेलने के दुष्परिणामों का सबसे बड़ा उदाहरण महाभारत से लिया जा सकता है, जहां पांडवों ने जुए की लत में अपना सब कुछ खो दिया। उन्होंने अपना राज्य, संपत्ति और यहां तक कि अपनी पत्नी द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया था, जो अंततः विनाशकारी साबित हुआ। यह घटना हमें यह सिखाती है कि जुआ केवल आर्थिक बर्बादी ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

जुए की लत और इसके नकारात्मक प्रभाव

हालांकि, लोग यह मानते हैं कि दिवाली की रात जुआ खेलने से पूरे साल के लिए सौभाग्य की प्राप्ति होती है, लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक या धार्मिक आधार नहीं है। इसके विपरीत, जुआ खेलने की लत व्यक्ति के जीवन को बर्बाद कर सकती है। जुए में एक बार हारने के बाद व्यक्ति अपनी हार की भरपाई करने के लिए बार-बार खेलने लगता है, जिससे वह आर्थिक संकट में फंस जाता है। यह न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन पर बुरा असर डालता है, बल्कि परिवार और समाज के लिए भी नकारात्मक परिणाम लाता है।

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क्या जुआ खेलना शुभ हो सकता है?

कई लोग इसे परंपरा के रूप में निभाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह शुभ है। दरअसल, जुआ खेलने से एक नकारात्मक प्रवृत्ति का विकास होता है, जो आगे चलकर बुरी आदतों और समस्याओं का कारण बनता है। जो लोग दिवाली की रात जुआ नहीं खेलते, उन्हें इससे दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ एक मनोरंजन नहीं, बल्कि एक हानिकारक लत बन सकती है।

दिवाली रोशनी, खुशी और नए सिरे से जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। इसे सकारात्मकता और समृद्धि के साथ मनाना ही शुभ माना जाता है। जुआ खेलना, चाहे वह परंपरा के नाम पर हो या मनोरंजन के लिए, अंततः नुकसानदायक हो सकता है। हमें यह समझना होगा कि सौभाग्य और समृद्धि कर्मों और मेहनत से प्राप्त होते हैं, न कि जुए जैसी हानिकारक गतिविधियों से। इस दिवाली, जुए से दूर रहकर अपने और अपने परिवार के लिए एक सुरक्षित और खुशहाल भविष्य सुनिश्चित करें।

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यह आपके जीवन में समृद्धि और खुशियों को लाने का सबसे सही तरीका होगा।

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