India News (इंडिया न्यूज़), Sita’s Brother: रामचरितमानस, जो मर्यादा पुरोषोत्तम श्री राम के चरित्र की कथा है, हमें जीवन जीने की प्रेणना देती है। कहते हैं जब कभी आप जीवन में परेशानी से घिर जाएं तो रामायण का कोई भी पन्ना आँख बंद करके खोल लें और उसे पढें, उसमें से आपको हल अवश्य मिलेगा।
जीवन में कई बार हमारा मनोबल टूट जाता है, हमें कोई रास्ता नहीं दिखाई देता तब रामायण में हमें एक ऐसा प्रसंग मिलता है जो हमारे मनोबल को बढ़ाता है। लेकिन बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो रामायण या किसी भी ग्रंथ में तर्क ढूंढने लगते हैं, तो आज हम तर्क के साथ एक प्रसंग के बारे में जानेंगे।

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क्या है वो प्रसंग?

एक बार जब जनकनंदनी अशोक वृक्ष के नीचे बैठी थीं तब रावण आता है और हमेशा की तरह सीता को विवाह के लिये कहता है, जब सीता मना कर देती हैं तो रावण कहता है, यदि तुम नहीं मानी तो मैं तुम्हें बलपूर्वक ले जाऊंगा। इतना सुनते ही माता सीता क्रोध से भर जाती हैं और वो जिस चटाई पर बैठी होती हैं उसा चटाई से एक तिनका निकालकर अपने और रावण के बीच रख देती हैं और ललकारती हैं कि अगर उसमें साहस हो तो तिनके को पार करके दिखाए। रावण सीता के मनोबल को देख घबरा गया और वापस लौट गया।

                            । तृन धरि ओट कहति बैदेही ।        
                         ।। सुमिरि अवधपति परम सनेही ।।

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क्या है तर्क?

माँ सीता को भूमिजा भी कहते हैं, क्योंकि उनका जन्म भूमी से हुआ था। और तिनके को संस्कृत में भूमिज कहते हैं, क्योंकि तिनका भी भूमी से पैदा हौता है। इस हिसाब से तिनका माँ सीता का भाई हुआ। और यह बात सत प्रतिशत सत्य है जैसे सूर्य का प्रकाश, कि महिलाएं जितना सुरक्षित अपने भाई के साथ करती हैं उतना अपने पति के साथ भी नहीं करती हैं। इसीलिए रावण तिनके को पार न कर सका। और साथ ही माता सीता ने रावण को इस घटना से बता दिया कि पहले मेरे भाई से उलझ कर दिखा, मेरे पति से बाद में उलझना।

ये घटना हमें सिखाती है कि अगर हमारा मनोबल मज़बूत हो तो कोई भी परेशानी हमें डिगा नहीं सकती।