धर्म

पहले महाभारत के विनाश का कारण बनी इस स्त्री से रचाया विवाह फिर मां गंगा से की शादी…कौन है ये महाभीष्म जो पुनर्जन्म लेकर बने गंगा के पति?

India News (इंडिया न्यूज), Mahabhishma Ganga’s Husband: महाभारत का महाभीष्म एक अत्यंत महत्वपूर्ण और रहस्यमय पात्र हैं, जिनकी कथा उनके महान कार्यों और उनके द्वारा किए गए पुण्य से भरी हुई है। महाभीष्म का जीवन एक अद्भुत यात्रा का प्रतीक है, जिसमें उनकी इच्छाओं, श्राप, और पुनर्जन्म की कहानी शामिल है।

महाभीष्म की पृष्ठभूमि

महाभीष्म एक प्राचीन राजा थे जिन्होंने अपनी भक्ति और त्याग से दिव्य स्थान प्राप्त किया था। उनका पुण्य इतना बड़ा था कि उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई, जहाँ वे देवताओं और अप्सराओं के साथ सुखपूर्वक जीवन बिताते थे। स्वर्ग में रहते हुए, उन्होंने अपने इन्द्रधनुषी जीवन का आनंद लिया, जिसमें नृत्य और सुरा का सेवन शामिल था।

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गंगा का श्राप

एक दिन, जब सभी देवता, महाभीष्म और मां गंगा स्वर्ग में एक सभा में उपस्थित थे, तो एक अप्रत्याशित घटना घटी। एक तेज़ हवा के झोंके ने मां गंगा के परिधान को हटा दिया। इस दृश्य को देखकर सभी देवताओं ने अपनी आंखें फेर लीं, लेकिन महाभीष्म अपने आपको रोक न सके और गंगा के सौंदर्य का ध्यान करते रहे।

इस घृणित घटना के कारण इंद्र, स्वर्ग के राजा, बहुत नाराज हुए और महाभीष्म को श्राप दिया कि वह धरती पर लौट जाएं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि मां गंगा मानव रूप में जन्म लेंगी और महाभीष्म का दिल तोड़ेंगी।

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पुनर्जन्म और विवाह

महाभीष्म का धरती पर जन्म राजा शांतनु के रूप में हुआ। शांतनु एक महान और धर्मात्मा राजा थे। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि गंगा उनकी पत्नी के रूप में पुनर्जन्म ले चुकी हैं, तो उन्होंने गंगा से विवाह किया। गंगा ने शांतनु को अपने पूर्व जन्म के श्राप का अहसास कराते हुए अपने बच्चों को जल में छोड़ने का निर्णय लिया।

इस प्रकार, महाभीष्म का जीवन एक त्रासदी में बदल जाता है, जिसमें उन्होंने अपने प्रेम और त्याग का प्रदर्शन किया। महाभीष्म का यह चक्र उनकी इच्छाओं और शापित जीवन के बीच संघर्ष का प्रतीक है, जो आगे चलकर महाभारत की कहानी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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निष्कर्ष

महाभीष्म की कथा हमें यह सिखाती है कि इच्छाएँ और पुण्य कर्म हमेशा हमारे साथ रहते हैं, लेकिन उनके परिणाम कभी-कभी अप्रत्याशित होते हैं। यह कहानी हमें यह भी बताती है कि प्रेम और त्याग का रास्ता हमेशा आसान नहीं होता, और कभी-कभी हमें अपने कार्यों के परिणामों का सामना करना पड़ता है। महाभारत में भीष्म के रूप में महाभीष्म की पृष्ठभूमि और कथा हमें उनके महान सिद्धांतों और व्यक्तित्व की गहराई को समझने का अवसर देती है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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