India News (इंडिया न्यूज), Rules for Worshiping Shani Dev: शनि भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं। दरअसल, उनकी दृष्टि में क्रूरता उनकी पत्नी के श्राप के कारण है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, शनिदेव बचपन से ही भगवान कृष्ण के भक्त थे। बड़े होने पर उनका विवाह चित्ररथ की पुत्री से हुआ। उनकी पत्नी एक गुणवान और अत्यंत तेजस्वी स्त्री थी। एक बार वह पुत्र प्राप्ति की इच्छा से उनके पास आई, लेकिन शनि भगवान कृष्ण के ध्यान में लीन थे। उन्हें बाहरी दुनिया का कोई ध्यान नहीं था। पत्नी प्रतीक्षा करते-करते थक गई, तब क्रोध में उन्होंने उसे श्राप दे दिया कि आज के बाद तुम जिसे देखोगे, वो नष्ट हो जाएगा।
ब्रह्मपुराण के अनुसार, ध्यान टूटने पर जब शनिदेव ने अपनी पत्नी को बताया और समझाया तो पत्नी को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ, परंतु श्राप का प्रतिकार करने की शक्ति उसमें नहीं थी। तभी से शनिदेव सिर झुकाकर रहने लगे। क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से किसी को कोई हानि पहुंचे।
शनिदेव की पूजा खड़े होकर या उनकी आंखों में देखकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव की नजर जिस पर भी पड़ती है, उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। श्राप की वजह से शनि की पत्नी ने कहा था कि जिस पर भी वो अपनी नजर डालेंगे, उसका विनाश हो जाएगा। अपनी पत्नी के श्राप के कारण ही शनिदेव की नजर दोषयुक्त मानी जाती है। इसलिए शनिदेव की नजर से बचने की सलाह दी जाती है।
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