Hindi News / Dharam / Why Did Neem Karoli Baba Run Quickly Towards The Forest After Hearing The Episode Of Ramayana

क्यों रामायण का प्रसंग सुनते ही तेजी से जंगल की ओर भागे थे Neem Karoli Baba? ऐसा भी क्या सुन लिया था जिससे पैरों पर ही नहीं रहा नियंत्रण

Neem Karoli Baba: क्यों रामायण का प्रसंग सुनते ही तेजी से जंगल की ओर भागे थे Neem Karoli Baba

BY: Prachi Jain • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज), Neem Karoli Baba: कैंची आश्रम की आध्यात्मिक ऊर्जा और वहाँ की घटनाएँ सदियों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करती आई हैं। एक ऐसी ही घटना बाबा नीम करोली महाराज के जीवन से जुड़ी है, जिसने उनके अनुयायियों को हनुमानजी की दिव्यता का साक्षात्कार कराया। यह घटना न केवल रहस्यमय थी, बल्कि बाबा की आध्यात्मिक शक्ति का जीवंत प्रमाण भी थी।

घटना का प्रारंभ

यह घटना उस समय की है जब बाबा कैंची आश्रम में अपने भक्तों के साथ थे। भक्तों का दरबार लगा था, और भक्त शिव गोपाल तिवारी बाबा के सामने उपस्थित थे। बाबा ने शिव गोपाल से रामायण का पाठ सुनाने का आग्रह किया। शिव गोपाल ने पूछा कि पाठ कहाँ से आरंभ करें। बाबा ने सहजता से कहा, “वहाँ से सुनाओ, जहाँ हमने विभीषण से कहा था।”

कभी सोचा है किसने बनाया होगा हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत? दिमाग में क्या-क्या सोचकर किया होगा तैयार

Neem Karoli Baba: क्यों रामायण का प्रसंग सुनते ही तेजी से जंगल की ओर भागे थे Neem Karoli Baba

आज भी कलियुग में इस पर्वत पर घूमते रहते है हनुमान जी, श्रीमद भागवत में भी किया गया है इसका पूरा वर्णन!

शिव गोपाल ने तुरंत आरंभ किया:

“सुनहु विभीषण प्रभु की रीति, करे सदा सेवक पर प्रीति।”

जैसे ही ये पंक्तियाँ बोली गईं, बाबा भावावेश में आने लगे। उनके चेहरे पर एक अद्भुत तेज प्रकट हुआ, और वातावरण एक गहन आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।

चमत्कारी परिवर्तन

बाबा ने पास खड़े भक्त सुधीर मुखर्जी का हाथ अपने हाथ में लिया और उन्हें अपने साथ चलने को कहा। जैसे ही मुखर्जी बाबा के साथ आगे बढ़े, उन्होंने महसूस किया कि बाबा के हाथ का भार अचानक बढ़ गया। शिव मंदिर के द्वार पर पहुँचकर बाबा ने भूमि पर अपने दोनों हाथ टेक दिए। वे घुटनों और पैरों के पंजों के बल बैठ गए, लेकिन उन्होंने मुखर्जी का हाथ नहीं छोड़ा।

आश्चर्यजनक रूप से, बाबा की आकृति बदलने लगी। उनका मुख लाल होने लगा और उनकी पूरी देह पर भूरे-भूरे बाल निकलने लगे। यह दृश्य देख भक्त सुधीर मुखर्जी विस्मित रह गए। बाबा के शरीर में हनुमानजी की छवि स्पष्ट दिखाई देने लगी।

लंबे समय से किसी जॉब को पाने की कोशिश में है आप? तो अब सब्र हुआ खत्म! ऐसे करें पंचमुखी हनुमान की पूजा और पा लें मनचाही नौकरी

बाबा का अचानक गायब होना

इसके तुरंत बाद बाबा ने भक्त का हाथ छोड़ा और जंगल की ओर भाग गए। सुधीर मुखर्जी, जो इस अद्भुत घटना के साक्षी बने, घबराकर घंटों तक अचेत रहे। बाबा की इस अद्वितीय लीला ने सभी उपस्थित लोगों को चकित कर दिया।

बाबा का मौन

काफी समय बाद बाबा आश्रम लौटे। जैसे ही यह खबर फैली, आश्रम के भक्त उनके चारों ओर एकत्र हो गए और घटना के बारे में पूछने लगे। सभी यह जानने को उत्सुक थे कि बाबा ने हनुमानजी का रूप क्यों और कैसे धारण किया। परंतु बाबा इस विषय पर मौन रहे। उन्होंने न तो इस घटना की पुष्टि की और न ही कोई स्पष्टीकरण दिया।

हनुमान जन्मोत्सव के दिन जरूर करें ये चालीसा का पाठ, बजरंगबली करेंगे हर विपत्ति का नाश!

आध्यात्मिक संदेश

यह घटना बाबा नीम करोली महाराज के हनुमानजी के साथ गहरे आध्यात्मिक संबंध को दर्शाती है। उनकी यह लीला यह सिद्ध करती है कि वे साक्षात् हनुमानजी के अवतार थे। भक्तों के प्रति उनकी करुणा और समर्पण इस बात का प्रमाण है कि बाबा केवल एक संत नहीं, बल्कि एक दिव्य शक्ति के प्रतीक थे।

कैंची आश्रम की यह घटना हमें भक्ति, समर्पण और विश्वास का गहरा संदेश देती है। बाबा नीम करोली महाराज जैसे संतों का जीवन हमें यह सिखाता है कि ईश्वर का साक्षात्कार केवल हमारे समर्पण और शुद्ध भक्ति के माध्यम से संभव है। बाबा के हनुमान रूप की यह घटना उनके अनुयायियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

क्यों महिलाएं नहीं काट सकती कद्दू, अगर इसे काटने की कोशिश भी करे कोई स्त्री तो जिंदगीभर के लिए हो जाएगी…?

Tags:

Neem Karoli BabaRamayan Prasang
Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue