India News (इंडिया न्यूज), Neem Karoli Baba: कैंची आश्रम की आध्यात्मिक ऊर्जा और वहाँ की घटनाएँ सदियों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करती आई हैं। एक ऐसी ही घटना बाबा नीम करोली महाराज के जीवन से जुड़ी है, जिसने उनके अनुयायियों को हनुमानजी की दिव्यता का साक्षात्कार कराया। यह घटना न केवल रहस्यमय थी, बल्कि बाबा की आध्यात्मिक शक्ति का जीवंत प्रमाण भी थी।
यह घटना उस समय की है जब बाबा कैंची आश्रम में अपने भक्तों के साथ थे। भक्तों का दरबार लगा था, और भक्त शिव गोपाल तिवारी बाबा के सामने उपस्थित थे। बाबा ने शिव गोपाल से रामायण का पाठ सुनाने का आग्रह किया। शिव गोपाल ने पूछा कि पाठ कहाँ से आरंभ करें। बाबा ने सहजता से कहा, “वहाँ से सुनाओ, जहाँ हमने विभीषण से कहा था।”
Neem Karoli Baba: क्यों रामायण का प्रसंग सुनते ही तेजी से जंगल की ओर भागे थे Neem Karoli Baba
शिव गोपाल ने तुरंत आरंभ किया:
“सुनहु विभीषण प्रभु की रीति, करे सदा सेवक पर प्रीति।”
जैसे ही ये पंक्तियाँ बोली गईं, बाबा भावावेश में आने लगे। उनके चेहरे पर एक अद्भुत तेज प्रकट हुआ, और वातावरण एक गहन आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
बाबा ने पास खड़े भक्त सुधीर मुखर्जी का हाथ अपने हाथ में लिया और उन्हें अपने साथ चलने को कहा। जैसे ही मुखर्जी बाबा के साथ आगे बढ़े, उन्होंने महसूस किया कि बाबा के हाथ का भार अचानक बढ़ गया। शिव मंदिर के द्वार पर पहुँचकर बाबा ने भूमि पर अपने दोनों हाथ टेक दिए। वे घुटनों और पैरों के पंजों के बल बैठ गए, लेकिन उन्होंने मुखर्जी का हाथ नहीं छोड़ा।
आश्चर्यजनक रूप से, बाबा की आकृति बदलने लगी। उनका मुख लाल होने लगा और उनकी पूरी देह पर भूरे-भूरे बाल निकलने लगे। यह दृश्य देख भक्त सुधीर मुखर्जी विस्मित रह गए। बाबा के शरीर में हनुमानजी की छवि स्पष्ट दिखाई देने लगी।
इसके तुरंत बाद बाबा ने भक्त का हाथ छोड़ा और जंगल की ओर भाग गए। सुधीर मुखर्जी, जो इस अद्भुत घटना के साक्षी बने, घबराकर घंटों तक अचेत रहे। बाबा की इस अद्वितीय लीला ने सभी उपस्थित लोगों को चकित कर दिया।
काफी समय बाद बाबा आश्रम लौटे। जैसे ही यह खबर फैली, आश्रम के भक्त उनके चारों ओर एकत्र हो गए और घटना के बारे में पूछने लगे। सभी यह जानने को उत्सुक थे कि बाबा ने हनुमानजी का रूप क्यों और कैसे धारण किया। परंतु बाबा इस विषय पर मौन रहे। उन्होंने न तो इस घटना की पुष्टि की और न ही कोई स्पष्टीकरण दिया।
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यह घटना बाबा नीम करोली महाराज के हनुमानजी के साथ गहरे आध्यात्मिक संबंध को दर्शाती है। उनकी यह लीला यह सिद्ध करती है कि वे साक्षात् हनुमानजी के अवतार थे। भक्तों के प्रति उनकी करुणा और समर्पण इस बात का प्रमाण है कि बाबा केवल एक संत नहीं, बल्कि एक दिव्य शक्ति के प्रतीक थे।
कैंची आश्रम की यह घटना हमें भक्ति, समर्पण और विश्वास का गहरा संदेश देती है। बाबा नीम करोली महाराज जैसे संतों का जीवन हमें यह सिखाता है कि ईश्वर का साक्षात्कार केवल हमारे समर्पण और शुद्ध भक्ति के माध्यम से संभव है। बाबा के हनुमान रूप की यह घटना उनके अनुयायियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।