संबंधित खबरें
इस चिज को खाते ही आ जाता है रोना! महाकुंभ से विदा ले रहे नागा साधु, जाने से पहले करते हैं ऐसा चौंकाने वाला काम
इन 5 उपायों से ठंडा हो जाएगा शनिदेव का गुस्सा, शांती से बीत जाएगी साढ़े साती!
भगवान की इस सवारी के कान में फुसफुसा दें अपनी मनोकामना, सीधे स्वर्ग पहुंचेगी आवाज, कुछ दिनों में दिखेगा ऐसा चमत्कार
चीरहरण के वक्त द्रौपदी ने कहे थे दुर्योधन और दुशासन को लेकर जो शब्द…जिनसे मरते दम तक खुद को नहीं बचा पाए थे ये पापी
महाभारत का वो एकलौता योद्धा जिसे न तो देवता और न कोई दानव कर पाए थे परास्त, शक्ति का दूसरा नाम था ये शूरवीर
इन 52 अक्षरों में है इतनी जान जिन्हे पढ़ते ही बन जाते है सारे बिगड़े काम, साइंस के दिमाग से भी ऊपर है ये खेला!
Tantra Siddhi Of Aghori Sadhu: श्मशान के गुप्त अंधेरे में क्यों नाचते हुए तंत्र साधना करते है अघोरी
India News (इंडिया न्यूज), Tantra Siddhi Of Aghori Sadhu: अघोरी साधना और पूजा पद्धति सदियों से एक रहस्यमय और जटिल विषय रही है। आम लोगों के लिए अघोरियों का जीवन, उनकी आस्था, तपस्या और पूजा-पाठ का तरीका गूढ़ और अनोखा है। यह अनुशासन शिव और शक्ति की उपासना पर आधारित है, जो अघोरियों के मोक्ष और शक्ति प्राप्ति के सर्वोच्च लक्ष्य का हिस्सा है।
अघोरियों का जीवन पूर्ण रूप से शिव के प्रति समर्पित होता है। वे सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर अपना समय साधना, तपस्या और ध्यान में बिताते हैं। अघोरियों के लिए शिव ही सर्वोच्च गुरु, आराध्य और मोक्षदाता हैं।
श्मशान घाट को अघोरियों का प्रमुख साधना स्थल माना जाता है। वे मानते हैं कि श्मशान में मृत्यु का सत्य प्रकट होता है, और यहां साधना करने से आत्मा को मुक्ति मिलती है। उनकी साधना की विधि में मानव कपाल (खोपड़ी), राख और भस्म का प्रयोग प्रमुख होता है।
अघोरी साधना में शिव और काली माता की आराधना विशेष महत्व रखती है। शिव, जिन्हें अघोर स्वरूप में पूजा जाता है, सृष्टि और विनाश के देवता माने जाते हैं। वहीं, काली माता शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं, जो भय और अज्ञान को दूर करती हैं।
श्मशान में अघोरी दीप जलाते हैं, हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करते हैं, और मंत्रोच्चार के साथ काली माता की उपासना करते हैं। उनकी पूजा विधि में मांस और मदिरा का भोग लगाया जाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से आत्मा की तृष्णा और इच्छाओं का त्याग दर्शाता है।
अघोरी साधना की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
क्यों इस मंदिर में नहीं दे सकती एक भी औरत किसी भी चीज का दान, तहखाने वाली इस आरती का क्या है राज?
अघोरी साधना का अंतिम लक्ष्य आत्मा को मोक्ष प्रदान करना और मानव जीवन के हर पहलू को स्वीकार करना है। उनका मानना है कि हर वस्तु, चाहे वह पवित्र हो या अपवित्र, ब्रह्मांड का हिस्सा है। वे सामाजिक बंधनों और परंपराओं को तोड़कर सत्य की खोज करते हैं।
अघोरियों की साधना पद्धति भले ही आम लोगों के लिए रहस्यमय हो, लेकिन यह आत्मा की उच्चतम स्थिति को प्राप्त करने का एक अनोखा मार्ग है। उनका जीवन और साधना प्रकृति के हर पहलू को स्वीकार करने और उसके साथ सामंजस्य स्थापित करने का संदेश देती है। अघोरियों की उपासना पद्धति हमें यह सिखाती है कि सत्य को केवल बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि उसके गहनतम रूप से समझना चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.