India News (इंडिया न्यूज़), Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी का त्योहार इस साल शुक्रवार, 6 सितंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। देशभर में इस उत्सव की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। गणेश चतुर्थी, जिसे भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, भारतीय संस्कृति और धार्मिकता में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस अवसर पर गणेश भगवान की मूर्तियों की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश भगवान की मूर्ति के पीछे दर्पण क्यों लगाया जाता है?

भगवान गणेश और उनका महत्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। वे सभी विघ्नों को नष्ट करने वाले, सुख और समृद्धि के दाता माने जाते हैं। गणेश जी की पूजा किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में की जाती है ताकि कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आए। गणेश चतुर्थी के दौरान, उनकी मूर्तियाँ घरों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित की जाती हैं, और भक्तगण भक्ति भाव से उनकी पूजा करते हैं।

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दर्पण का महत्व

गणेश मंदिरों में अक्सर देखा जाता है कि भगवान गणेश की मूर्ति के पीछे पीठ की ओर दर्पण लगा होता है। यह परंपरा कई धार्मिक मान्यताओं और पुरानी परंपराओं पर आधारित है। इसके पीछे का तर्क निम्नलिखित है:

  1. दर्शन की शुभता: मान्यता है कि भगवान गणेश की मूर्ति के सामने से दर्शन करना ज्यादा शुभ होता है। गणेश जी की पीठ देखना अशुभ माना जाता है और ऐसा करने से आर्थिक तंगी और अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, भगवान गणेश की मूर्ति के पीछे दर्पण लगाया जाता है ताकि भक्तगण उनकी मूर्ति को सही दिशा से देख सकें और उनकी पीठ की ओर देखने से बच सकें।
  2. धार्मिक परंपरा: यह मान्यता भी है कि गणेश भगवान की पीठ देखकर पूजा करना उनके प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है। दर्पण लगाने से इस मान्यता को सम्मान दिया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि भक्त गणेश जी के समक्ष ही उनकी पूजा-अर्चना कर सकें।
  3. आर्थिक और समृद्धि का संकेत: कुछ मान्यताओं के अनुसार, गणेश भगवान की पीठ देखना आर्थिक तंगी को आमंत्रित कर सकता है। दर्पण लगाने से यह सुनिश्चित होता है कि भक्त भगवान की साक्षात उपस्थिति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें, बिना किसी नकारात्मक प्रभाव के।

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निष्कर्ष

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करना हमारे लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य है। गणेश जी की मूर्ति के पीछे दर्पण लगाना एक प्राचीन परंपरा है जो भक्तों की भक्ति को सही दिशा में केंद्रित करने का एक साधन है। इस धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह सुनिश्चित करता है कि पूजा का असर सकारात्मक और शुभ रहे, और भक्त गणेश जी के आशीर्वाद से लाभान्वित हो सकें।

गणेश चतुर्थी के इस पावन अवसर पर, भगवान गणेश के समक्ष सच्चे श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करें और इस दिव्य पर्व का आनंद लें।

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