घर की नीव रखते समय क्यों गाढ़ा जाता है नाग-नागिन जोड़ा? क्या ग्रंथो में भी किया गया है इसका उल्लेख!
Story of to Bury Naag-Nagin Ka Joda: घर की नीव रखते समय क्यों गाढ़ा जाता है नाग-नागिन जोड़ा
India News (इंडिया न्यूज), Story of to Bury Naag-Nagin Ka Joda: जब हम घर बनाने की योजना बनाते हैं, तो वास्तु शास्त्र का पालन करना आम बात है। हिंदू वास्तु शास्त्र में घर की संरचना और डिजाइन को लेकर कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश होते हैं, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए बताए जाते हैं। इन दिशा-निर्देशों में मुख्य द्वार की दिशा से लेकर कमरे की स्थिति तक कई महत्वपूर्ण बातें शामिल होती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा है घर की नींव में शुभ सामग्री रखना, जैसे चांदी के नाग-नागिन, कलश या अन्य धार्मिक वस्तुएं।
वास्तु शास्त्र में शुभ सामग्री का महत्व
हिंदू वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की नींव में शुभ सामग्री रखने से न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, बल्कि यह घर को वास्तु दोषों से भी बचाता है। माना जाता है कि चांदी के नाग-नागिन, कलश या अन्य शुभ वस्तुएं घर की नींव में रखी जाएं तो ये घर के वातावरण को शुद्ध करने में मदद करती हैं और घर में समृद्धि व सुख-शांति का संचार करती हैं।
चांदी के नाग-नागिन को घर की नींव में रखना एक आम प्रथा है। हिंदू धर्म में नागों का प्रतीक शक्ति, समृद्धि और आशीर्वाद का माना जाता है। नागों को देवी-देवताओं की कृपा और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। चांदी के नाग-नागिन को नींव में रखने से यह माना जाता है कि यह घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और परिवार को शुभ फल प्रदान करता है।
कलश और अन्य शुभ सामग्री का महत्व
कलश को भी वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। घर की नींव में कलश रखना घर में शुभता और समृद्धि लाने के लिए होता है। इसे अमृत, शुभता और भगवान की कृपा का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, अन्य शुभ वस्तुएं जैसे सोने या चांदी के सिक्के, शुद्ध जल, और कुछ धार्मिक प्रतीक घर की नींव में रखे जाते हैं ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
घर की दिशा और वास्तु शास्त्र के सिद्धांत
घर बनाने के समय, वास्तु शास्त्र में यह भी कहा गया है कि मुख्य द्वार को पूर्व या उत्तर दिशा में बनाना चाहिए। यह दिशा घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, घर का ढलान भी पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए। बेडरूम, बाथरूम और किचन के स्थानों को भी विशेष दिशाओं में बनाना आवश्यक होता है, ताकि घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के निर्माण के दौरान कुछ विशेष धार्मिक क्रियाएं भी की जाती हैं, जैसे नाम जप करना या ध्यान केंद्रित करना। यह ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और मानसिक शांति को बढ़ाता है। चलते फिरते नाम जप करने से व्यक्ति के मन और आत्मा को शांति मिलती है, और साथ ही घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
घर बनाने का कार्य न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है। हिंदू वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की नींव में शुभ सामग्री रखना, जैसे चांदी के नाग-नागिन और कलश, घर में समृद्धि, सुख, और शांति लाने का एक तरीका माना जाता है। यह न केवल घर को वास्तु दोषों से बचाता है, बल्कि घर के वातावरण को भी सकारात्मक और शांतिपूर्ण बनाता है।
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