India News (इंडिया न्यूज़), Last Rites Rituals: हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है अंतिम संस्कार। इस प्रक्रिया के दौरान मृतक के परिवार द्वारा कई क्रियाएँ की जाती हैं, जिनमें से एक है कपाल क्रिया। यह क्रिया सुनने में अटपटी लग सकती है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व गहरा है।

कपाल क्रिया का महत्व

  1. सांसारिक बंधनों से मुक्ति: कपाल क्रिया का पहला उद्देश्य यह है कि मृतक को सांसारिक बंधनों से मुक्त किया जाए। इस प्रक्रिया के माध्यम से मान्यता है कि मृतक इस जन्म की सभी स्मृतियों को अगले जन्म में नहीं ले जा पाएगा, जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कपाल को तोड़ने से उसकी आत्मा शांति पाती है और वह भटकती नहीं है।
  2. तंत्र मंत्र के दुरुपयोग से बचाव: दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह है कि तांत्रिक अक्सर साबुत खोपड़ी का प्रयोग अपने तंत्र मंत्र के लिए करते हैं। यदि मृतक की खोपड़ी साबुत रह जाती है, तो इसका दुरुपयोग हो सकता है, जिससे उसकी आत्मा को दुख पहुंचता है। कपाल क्रिया के माध्यम से इस दुरुपयोग से बचने की कोशिश की जाती है।

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गरुड़ पुराण में उल्लेख

कपाल क्रिया का विधि विधान गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से वर्णित है। यह पुराण अंतिम संस्कार के दौरान की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं का विस्तृत विवरण देता है। इसे पालन करना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

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निष्कर्ष

कपाल क्रिया एक गहन धार्मिक प्रक्रिया है, जो मृतक की आत्मा के कल्याण और मोक्ष के लिए की जाती है। इस प्रक्रिया को समझना और स्वीकार करना परिवार के लिए कठिन हो सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य अंतिम यात्रा को शांति और समर्पण के साथ सम्पन्न करना है। हिंदू धर्म में, यह प्रक्रिया केवल शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और मुक्ति का माध्यम है।

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