धर्म

क्यों पुराणों में तुलसी के पत्ते चबाकर न खाने की दी जाती है सलाह…क्या है इसके पीछे छिपा कारण?

India News (इंडिया न्यूज), Tulsi ke Patte: पुराणों में तुलसी के पत्तों को सीधे चबाकर न खाने की सलाह दी गई है, और इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण बताए गए हैं।

धार्मिक कारण

भगवान विष्णु से संबंध:

तुलसी को हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है और इसे भगवान विष्णु की प्रिय माना गया है। तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी तुलसी (Vrinda) का रूप माना गया है, इसलिए इसे सीधे चबाकर खाने से भगवान विष्णु का अनादर माना जाता है। तुलसी के पत्तों को सम्मानपूर्वक ही ग्रहण करना चाहिए।

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शास्त्रों में नियम:

शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी का सेवन श्रद्धा और आस्था के साथ करना चाहिए। इसके पत्तों को तोड़ते समय भी ‘श्री’ मंत्र का जाप करना आवश्यक माना गया है, और इसे सीधे चबाने के बजाय पानी के साथ निगलने की सलाह दी गई है।

वैज्ञानिक कारण

पारे (Mercury) की उपस्थिति:

तुलसी के पत्तों में पारे जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो सीधे चबाने पर दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पारा एक भारी धातु है, और इसे सीधे चबाने से दांतों के एनामेल पर असर पड़ सकता है।

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पत्तियों की बनावट:

तुलसी के पत्तों की बनावट थोड़ी सख्त होती है, और इसे सीधे चबाने से गले में खराश या जलन हो सकती है। तुलसी के पत्तों का रस गले और पेट के लिए अधिक फायदेमंद होता है, इसलिए इन्हें सीधे चबाने के बजाय पानी में मिलाकर पीना या निगल लेना अधिक लाभकारी है।

बैक्टीरियल संक्रमण से सुरक्षा:

तुलसी के पत्ते जमीन के पास होते हैं, और इन पर बैक्टीरिया हो सकते हैं। सीधे चबाने से बैक्टीरिया मुँह के अंदर जा सकते हैं, जो कि सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

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इसलिए, धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तुलसी के पत्तों को सीधे चबाने के बजाय पानी के साथ निगलना या इसका अर्क लेना बेहतर माना जाता है।

Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Prachi Jain

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