धर्म

दिवाली पर मां लक्ष्मी के वाहन के बजाए उल्लू की क्यों होती है पूजा? जानें कई सालों की बहस का सही जवाब!

India News (इंडिया न्यूज), Owl Worship On Diwali: दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह विशेष रूप से धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए जाना जाता है। लेकिन एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में उठता है, वह यह है कि मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू क्यों है? इस लेख में हम इस विषय पर चर्चा करेंगे और इसके पीछे के सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को समझेंगे।

उल्लू का महत्व

उल्लू को भारतीय संस्कृति में विभिन्न रूपों में देखा जाता है। इसे ज्ञान, बुद्धिमत्ता और अंतर्दृष्टि का प्रतीक माना जाता है। कई धार्मिक ग्रंथों और पुरानी कथाओं में उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन माना गया है। इस संदर्भ में, उल्लू के कई प्रतीकात्मक अर्थ हैं:

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  1. समृद्धि का संकेत: उल्लू रात के समय सक्रिय होता है और अंधकार में देखने की क्षमता रखता है। यह इस बात का प्रतीक है कि समृद्धि और धन अक्सर अंधकार में छिपे होते हैं, जिन्हें ज्ञान और समझ से उजागर किया जा सकता है।
  2. बुद्धिमत्ता और सुरक्षा: उल्लू को एक बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, जो अपनी समझदारी से अपने चारों ओर की स्थितियों का आकलन करता है। इसलिए, मां लक्ष्मी के वाहन के रूप में उल्लू का होना एक सुरक्षा और समझदारी का प्रतीक है।

पूजा की विधि

दिवाली के अवसर पर जब हम मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, तो उल्लू की भी पूजा की जाती है। यह पूजा आमतौर पर इस प्रकार की जाती है:

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  1. उल्लू की आकृति या मूर्ति स्थापित करना: भक्त उल्लू की एक मूर्ति या आकृति को अपने पूजा स्थल पर स्थापित करते हैं।
  2. धूप, दीप और नैवेद्य: उल्लू के समक्ष धूप, दीप जलाया जाता है और उसे नैवेद्य अर्पित किया जाता है। यह समर्पण और सम्मान का प्रतीक है।
  3. प्रार्थना: भक्त उल्लू के माध्यम से मां लक्ष्मी से धन, समृद्धि और ज्ञान की प्रार्थना करते हैं।

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सांस्कृतिक दृष्टिकोण

भारतीय संस्कृति में उल्लू को शुभ और अशुभ दोनों रूपों में देखा गया है। जबकि कुछ लोग इसे नकारात्मक रूप से देखते हैं, वहीं कई अन्य इसे सकारात्मकता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मानते हैं। इस द्वंद्व ने इसे भारतीय त्योहारों में एक विशेष स्थान दिलाया है।

दिवाली पर मां लक्ष्मी के वाहन के रूप में उल्लू की पूजा न केवल एक धार्मिक प्रथा है, बल्कि यह ज्ञान, बुद्धिमत्ता और समृद्धि का प्रतीक भी है। यह हमें यह सिखाता है कि असली धन केवल भौतिक वस्तुओं में नहीं, बल्कि ज्ञान और समझ में भी निहित है। इस प्रकार, उल्लू की पूजा दिवाली के पर्व को एक गहरा अर्थ और महत्व प्रदान करती है।

इस प्रकार, उल्लू की पूजा के पीछे की गहरी संस्कृति और अर्थ को समझना हमें दिवाली के असली उद्देश्य को और बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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