धर्म

क्या जानते हैं आखिर क्यों काला है भगवान विष्णु का वर्ण, महाभारत में खुद हनुमान ने बताई थी इसकी वजह!

India News (इंडिया न्यूज़), Lord Vishnu Mahabharat: महाभारत में अनेक महत्वपूर्ण संवाद हैं जो हिंदू धर्म की गहरी जानकारियाँ प्रदान करते हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध संवाद भगवान हनुमान और भीम के बीच हुआ है। इस संवाद में भगवान हनुमान ने भीम को भगवान विष्णु के वर्ण (रंग) बदलने के कारण बताए हैं। हनुमान ने बताया कि अब तक भगवान विष्णु का वर्ण चार बार बदल चुका है और यह युगों के अनुसार हुआ है।

भगवान विष्णु के वर्ण का परिवर्तन

सतयुग:

सतयुग में भगवान विष्णु का वर्ण श्वेत (सफेद) था। यह शांति, पवित्रता, और दिव्यता का प्रतीक है। सतयुग में, धर्म और सत्य सर्वोच्च थे, और भगवान विष्णु का श्वेत वर्ण इन गुणों का प्रतिनिधित्व करता था।

त्रेता युग:

त्रेता युग में भगवान विष्णु का वर्ण लाल (लोहित) था। यह रंग शक्ति और उग्रता का प्रतीक है। इस युग में भगवान विष्णु ने अपने राम अवतार में अत्याचारियों का नाश किया और धर्म की स्थापना की, जो उनके लाल वर्ण का प्रतीक है।

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द्वापर युग:

द्वापर युग में भगवान विष्णु का वर्ण श्याम (गहरा नीला या काला) था। यह रंग रहस्य, गंभीरता और गहनता का प्रतीक है। इस युग में भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में अनेक लीलाएं कीं और महाभारत जैसे महान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कलियुग:

कलियुग में भगवान विष्णु का वर्ण पीला (हल्का) होगा। यह युग अभी जारी है, और विष्णु का यह रंग भक्ति, ज्ञान और आत्मज्ञान का प्रतीक है। कलियुग में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा जो अधर्म का नाश करेगा और धर्म की स्थापना करेगा।

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भीम और हनुमान का संवाद

महाभारत के इस महत्वपूर्ण संवाद में, भीम को हनुमान से भगवान विष्णु के वर्ण परिवर्तन के बारे में जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह संवाद न केवल धर्म और युगों के बदलाव के महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे भगवान विष्णु हर युग में विभिन्न अवतारों में आकर धर्म की स्थापना करते हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं।

इस प्रकार के संवादों से हमें हिंदू धर्म के गहन रहस्यों और उसकी महत्ता का ज्ञान प्राप्त होता है। यह संवाद हमारे धार्मिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें धर्म और अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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