धर्म

क्या सूर्यास्त के बाद मांग में सिंदूर लगाना होता है ठीक? क्या है इसका महत्व और लगाने का सही नियम

India News (इंडिया न्यूज),  Applying Sindoor After Sun Set: हिन्दू धर्म में विवाह के बाद महिलाएं अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं, जो न केवल एक सांस्कृतिक परंपरा है, बल्कि इसे पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। मांग में सिंदूर लगाना विशेष रूप से विवाहित महिलाओं की पहचान माना जाता है और यह एक सम्मानजनक परंपरा है, जिसे प्राचीन काल से निभाया जा रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस सिंदूर को लगाने के पीछे कुछ खास ज्योतिषीय और धार्मिक नियम होते हैं? आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी मान्यताओं को भी उजागर करते हैं।

सिंदूर का महत्व

सिंदूर, हल्दी और पारे के मिश्रण से बनाया जाता है, जिसका रंग लाल होता है। इसे शास्त्रों में पवित्र और शुभ माना गया है। खासतौर से विवाह के समय दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है, जिसे ‘सिंदूर दान’ कहा जाता है। यह रस्म कन्यादान के समान ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसे मां पार्वती के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। मां पार्वती की कृपा से पति की आयु लंबी और जीवन सुखी रहता है।

इसके अलावा, सिंदूर का एक और तात्त्विक महत्व है। यह शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि लाल रंग को ऊर्जा और जीवंतता से जोड़ा जाता है। इसे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी माना जाता है।

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सूर्यास्त के बाद सिंदूर लगाने का निषेध

एक विशेष मान्यता है, जिसके अनुसार, सूर्यास्त के बाद मांग में सिंदूर नहीं लगाना चाहिए। यह नियम ज्योतिषीय दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है और इसके पीछे कुछ गहरे धार्मिक कारण हैं।

  1. सूर्य का महत्व:
    सूर्य को हिन्दू धर्म में ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। सूर्य का प्रभाव दिन के समय होता है, जब वह अपनी पूरी ऊर्जा और प्रकाश के साथ पृथ्वी पर विराजमान होते हैं। इसलिए, ज्योतिष के अनुसार सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय में सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है। यह समय सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का होता है और इस समय में सिंदूर लगाने से जीवन में सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है।
  2. चंद्रमा का प्रभाव रात में:
    शाम के समय सूर्य अस्त हो जाता है और रात के समय चंद्रमा का नियंत्रण होता है। चंद्रमा को मन और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यह सूर्य के जैसा तेज और ऊर्जा का प्रतीक नहीं है। इसलिए, सूर्यास्त के बाद सिंदूर लगाना शुभ नहीं माना जाता। इसके पीछे यह मान्यता है कि रात का समय और चंद्रमा के प्रभाव के कारण सिंदूर का प्रभाव उतना सकारात्मक नहीं रहता।
  3. रात के समय की नकारात्मक ऊर्जा:
    ज्योतिषियों का मानना है कि रात के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है। इसलिए, रात्रि में सिंदूर लगाना या इसे धोना भी नहीं किया जाता। यही कारण है कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय को ही सिंदूर लगाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

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मंगलवार को सिंदूर लगाने की मनाी

इसके अलावा, एक और ज्योतिषीय नियम है, जिसके अनुसार मंगलवार को भी सिंदूर नहीं लगाना चाहिए। विशेषकर यह तब महत्वपूर्ण होता है जब किसी महिला का मंगल दोष (मंगल ग्रह की स्थिति) हो। माना जाता है कि मंगल ग्रह का प्रभाव महिला के जीवन में कुछ नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, और मंगलवार को सिंदूर लगाना इस दोष को और बढ़ा सकता है। इसलिए, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मंगलवार को सिंदूर न लगाना शुभ होता है।

निष्कर्ष

हिन्दू धर्म में सिंदूर का एक गहरा और पवित्र महत्व है। यह न केवल शादीशुदा जीवन के सुख, समृद्धि और पति की लंबी उम्र का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्यास्त के बाद सिंदूर न लगाने की परंपरा और मंगलवार को सिंदूर लगाने से बचने का कारण भी धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से जुड़ा हुआ है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए हैं।

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सिंधूर का प्रयोग न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में स्त्री-पुरुष के रिश्ते और जीवन के एक महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है। यह एक शुभ संकेत होता है और इसके नियमों का पालन कर महिलाएं अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करती हैं।

Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Prachi Jain

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