India News (इंडिया न्यूज), Cursed Of Kansa: कंस की कहानी भारतीय पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख और महत्वपूर्ण स्थान रखती है। वह न केवल एक शक्तिशाली राजा था, बल्कि उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक का संबंध भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों से भी जुड़ा हुआ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कंस को हर जन्म में भगवान विष्णु के हाथों मृत्यु का श्राप मिला था। आइए इस कहानी के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं और कंस के श्राप से जुड़े रहस्यों को समझते हैं।
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि द्वापर युग में कंस ने हिरण्याक्ष के घर पर उसके बेटे के रूप में जन्म लिया था और उसका नाम कालनेमि रखा गया। कालनेमि बहुत दुष्ट और अत्याचारी था, और उसने देवताओं पर कई बार आक्रमण किया। इस असुर के छह बेटे और एक बेटी थी। बेटी वृंदा का विवाह शक्तिशाली राक्षस जालंधर से हुआ था, जिसे बाद में भगवान विष्णु ने हराया। वृंदा और जालंधर की कथा भी विष्णु से गहरे जुड़ी हुई है, जो जालंधर के अंत के समय भगवान विष्णु के वरण का कारण बनी।
स्कन्द पुराण में एक कथा आती है कि कालनेमि ने अपनी दैत्यों की सेना के साथ देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। उसका उद्देश्य था अमृत कलश को देवताओं से छीनकर अमरता प्राप्त करना। देवताओं के अनुरोध पर, भगवान विष्णु ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए कालनेमि का वध कर दिया। कालनेमि ने भगवान विष्णु के इस कार्य से बहुत क्रोधित होकर अपने अगले जन्म में फिर से दैत्यों के रूप में लौटने का प्रण लिया, लेकिन उसे श्राप मिला कि उसका अंत हर जन्म में भगवान विष्णु के ही हाथों होगा।
एक अन्य कथा के अनुसार, कंस को एक श्राप उसकी अपनी मां द्वारा दिया गया था। ऐसा माना जाता है कि कंस अत्याचारी होने के बावजूद अपनी मां का सम्मान करता था, लेकिन उसकी मां ने ही उसे श्राप दिया था कि उसके अपने परिवार का ही कोई बालक उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। यह श्राप भविष्य में सच साबित हुआ, जब भगवान विष्णु ने अपने अवतार श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लेकर कंस का वध किया।
महाभारत के किस योद्धा के पास था वो चमत्कारी बर्तन जिसमे कभी नहीं हो सकता था खाना खत्म?
कंस के डर के चलते उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को कैद कर लिया था, क्योंकि उसे आकाशवाणी के माध्यम से यह भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इस डर से कंस ने देवकी के छह बच्चों को मार दिया, लेकिन भगवान विष्णु ने सातवें पुत्र बलराम और आठवें पुत्र कृष्ण के रूप में अवतार लिया। अंततः कृष्ण ने कंस का वध कर इस श्राप को पूरा किया।
कंस की कहानी न केवल उसके अत्याचारों के कारण महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भगवान विष्णु के हाथों उसे हर जन्म में मृत्यु का श्राप क्यों मिला। उसके पूर्व जन्म का नाम कालनेमि था, जिसने देवताओं के खिलाफ कई युद्ध किए और अमृत प्राप्त करने की कोशिश की। कंस की यह कहानी इस बात को स्पष्ट करती है कि दुष्टता और अहंकार का अंत निश्चित है, चाहे वह कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Contents:Как определить разворот тренда на ФорексТест стратегии форекс «Лимитка»: +95,14% по GBP/USD за 12 месПример…
Navratri 2022 9th Day Maa Siddhidatri Puja Vidhi Vrat Katha Mantra Aarti in Hindi: नवरात्र…
Contents:Selling your item to BuyBackWorld is as easy as…GoPro swings to a surprise profit but…
Contents:India DictionaryProject Finance & Structuring SBUTop Reasons to Start Investing at an Early AgeManaging money…
Sonia Gandhi Meet Opposition parties : कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी शुक्रवार को वीडियो…
Bollywood Actress Troll : 2018 में फिल्म लवयात्री से बॉलीवुड में एंट्री करने वाली एक्ट्रेस…