धर्म

राम-सिया के विवाह में क्यों नहीं किया गया था लाल रंग के सिंदूर का प्रयोग? आज भी मिथला में इसी रंग से किया जाता है तिलक

India News (इंडिया न्यूज), Ram-Sita Vivah: सिंदूरदान हिंदू विवाह परंपराओं का एक महत्वपूर्ण और पवित्र अंग है, जो पति-पत्नी के बीच अटूट बंधन और समर्पण का प्रतीक है। मिथिला की संस्कृति में यह रस्म अपने अनोखे तरीके से मनाई जाती है, और इसका प्रभु श्रीराम और माता सीता के विवाह से गहरा संबंध है।

मिथिला में पीले सिंदूर का महत्व

पीले सिंदूर का उपयोग:

मिथिला में विवाह और अन्य शुभ कार्यों में लाल के बजाय पीले रंग के सिंदूर का प्रयोग किया जाता है। यह परंपरा आज भी निभाई जाती है और इसे विशिष्ट रूप से शुभ माना जाता है।

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परंपरा की जड़ें:

राम-सीता विवाह के समय मिथिला में पीले सिंदूर का उपयोग किया गया था, जिसे अब भी विवाह संस्कारों में श्रद्धा से अपनाया जाता है। पीला रंग देवत्व, पवित्रता, और शुभता का प्रतीक है।

राम-सीता विवाह और मिथिला की परंपराएं

लोकगीतों में जिक्र:

मिथिला के लोकगीतों में राम-सीता के विवाह की परंपराओं और रीति-रिवाजों का बड़े भावुक और धार्मिक रूप में वर्णन किया गया है। यह विवाह एक आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है।

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सीता का जीवन:

माता सीता का जीवन धैर्य, निष्ठा, और समर्पण का आदर्श उदाहरण है। उनका चरित्र आज भी मिथिला और अन्य स्थानों के लोगों के लिए प्रेरणा है।

सिंदूरदान की पवित्रता:

वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार, सिंदूरदान पति के प्रति पत्नी की निष्ठा और सौभाग्य का प्रतीक है। मिथिला में यह रस्म विशेष भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व रखती है।

सीख और आदर्श

प्रभु श्रीराम और माता सीता का जीवन हर हिंदू परिवार के लिए एक प्रेरणा है। उनका विवाह न केवल एक धार्मिक घटना है, बल्कि उसमें निहित संस्कारों और मूल्यों से समाज आज भी मार्गदर्शन प्राप्त करता है।

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मिथिला की यह परंपरा यह दिखाती है कि विवाह केवल एक सामाजिक बंधन नहीं है, बल्कि यह संस्कार पति-पत्नी के बीच जीवन भर के लिए एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है।

Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Prachi Jain

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