India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat story: महाभारत में कौरवों और पांडवों से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो आज के समय में भी कही और सुनी जाती हैं। पांडव पांच भाई थे, लेकिन अंगराज कर्ण भी उनके बड़े भाई थे, जिनका जन्म उनकी माता कुंती के विवाह से पहले सूर्य देव के मंत्र आह्वान के कारण हुआ था। दरअसल, दुर्वासा ऋषि ने कुंती को आशीर्वाद देते हुए एक मंत्र दिया था, जिसके जाप से वह किसी भी देवता का आह्वान कर सकती थीं।
उस मंत्र की शक्ति को परखने के लिए कुंती ने सूर्य देव का आह्वान किया, तब वे प्रकट हुए और उन्हें एक पुत्र का वरदान दिया। जो बाद में दानवीर कर्ण के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने पांडवों के खिलाफ महाभारत का युद्ध लड़ा था। जब कर्ण का वध अर्जुन ने किया, तो कुंती ने ऐसा रहस्य उजागर किया, जिससे क्रोधित होकर युधिष्ठिर ने सभी महिलाओं को श्राप दे दिया। आइए जानते हैं इस घटना के बारे में।
इस घटना का उल्लेख महाभारत के शांति पर्व में मिलता है। कर्ण का वध अर्जुन ने किया था। कर्ण की वीरगति की खबर सुनकर कुंती व्याकुल हो गईं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। युद्ध समाप्त होने के बाद जब पांचों पांडव अपनी माता कुंती के पास पहुंचे तो उन्होंने उनसे कहा कि कर्ण कोई और नहीं बल्कि आपका बड़ा भाई है। माता कुंती की यह बात सुनकर सभी भाई हैरान रह गए। जब उन्हें इस बात का पता चला तो वे कर्ण की मृत्यु से बहुत दुखी हुए। साथ ही माता कुंती ने कर्ण और अन्य 5 पांडवों के जन्म की घटना बताई।
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पांडवों ने कर्ण का अंतिम संस्कार विधि-विधान से किया। अपनी मां से यह जानने के बाद कि कर्ण उनका भाई था, युधिष्ठिर अपनी मां कुंती से बहुत क्रोधित हुए। फिर उन्होंने सभी महिलाओं को श्राप दिया कि आज के बाद वे कभी भी कुछ भी नहीं छिपा पाएंगी। प्रचलित मान्यता है कि इस श्राप के कारण महिलाएं कुछ भी नहीं छिपा पाती हैं। अगर उनसे कुछ कहा जाता है, तो वे इसे दूसरों को बताने से खुद को रोक नहीं पाती हैं।
इस कलियुग में भी लोग महिलाओं के बारे में कहते हैं कि वे अपने पेट में कोई बात नहीं पचा सकतीं। एक तरह से इसे भी व्यक्तित्व में दोष माना जाता है। प्रचलित मान्यता है कि युधिष्ठिर के उस श्राप का दंश आज भी महिलाएं भुगत रही हैं। हालांकि, सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी कोई बात गुप्त रखने में विफल रहते हैं।
कुंती का विवाह राजा पांडु से हुआ था। उनकी दूसरी पत्नी का नाम माद्री था। विवाह के बाद दुर्वासा ऋषि के दिए मंत्र से कुंती को अपने लिए 3 पुत्र युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन तथा माद्री के लिए नकुल और सहदेव की प्राप्ति हुई। कुंती ने एक-एक करके 5 देवताओं का आह्वान किया – धर्म देवता, वायु देवता, देवराज इंद्र, 2 अश्विनी कुमार नासत्य और दस्त्र। कुंती को धर्म के देवता से युधिष्ठिर, वायु के देवता से भीम, देवराज इंद्र से अर्जुन, नासत्य से नकुल और सहदेव तथा दस्त्र को पुत्र के रूप में प्राप्त हुआ।
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