India News (इंडिया न्यूज), Women Naga Sadhus: आपने कई बार पुरुष नागा साधुओं के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी महिला नागा साधु के बारे में सुना और देखा है? यदि नहीं तो हम आपको बता दें कि, पुरुष नागा साधुओं की तरह ही महिलाएं भी नागा साधु बन कर अपना जीवन गुजारती हैं। नागा साधु बनने के बाद महिलाओं का जीवन भी बहुत कठिन और रहस्यमयी बन जाता है। महिला नागा साधुओं की दुनिया अन्य महिलाओं के मुकाबले पूरी तरह बदल जाती है। आइए जानें उनके रहस्यमयी जीवन के बारे में।
महिला नागा साधु बनना बहुत मुश्किल होता है। इस प्रक्रिया के तहत नागा साधु बनने वाली महिला को सबसे पहले 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इन 6 से 12 सालों के समय में इन महिलाओं को अपनी सभी सांसारिक इच्छाओं और मोह-माया को त्यागना होता है। अपने सभी रिश्ते-नाते भुलाकर अपना सारा जीवन भगवान के चरणों में समर्पित करना होता है। जब वे इन सभी कठिन परीक्षाओं को पार कर लेती हैं इसके बाद ही गुरु से उन्हें नागा साधु बनने की अनुमति प्राप्त होती है।
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महिला नागा साधु यूं ही नहीं बना जाता है इससे पहले महिलाओं को अपना सिर मुंडवाने की प्रथा से भी निकलना पड़ता है। सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि जीते जी इन महिलाओं का पिंडदान कर दिया जाता है। हिंदू धर्म में व्यक्ति का पिंडदान उसके मरने के बाद किया जाता है, जीते जी इन महिलाओं के पिंडदान का यही मतलब होता है कि वह अपने सारे पुराने रिश्तों और जीवन से आजाद हो चुकी हैं। इन सभी प्रथाओं को पूरा करने के बाद वो समय आता है जब एक महिला अपने पुराने जीवन से मुक्त होकर अपनी एक नई आध्यात्मिक यात्रा पर चल पड़ती है, इस दौरान वह अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान को समर्पित कर देती है, जिसे वो खुद की मर्जी से चुनती है।
आपने सुना होगा कि पुरुष नागा साधु निर्वस्त्र रहते हैं, तो अब आपका यह प्रसन्न जरूर होगा कि, क्या महिला नागा साधु भी निर्वस्त्र रहतीं हैं? तो इसका उत्तर नहीं हैं। दरअसल, महिला नागा साधुओं को गेरुआ रंग के वस्त्र पहनने की अनुमति मिलती है, लेकिन उसके साथ ही उनका यह कपड़ा सिला हुआ भी नहीं होना चाहिए। महिला नागा साधु माथे पर तिलक और अपने पूरे शरीर पर भस्म भी लगाती हैं। हालांकि, महिला नागा साधु पुरुषों के मुकाबले उतनी अधिक नहीं होती होती हैं। महिला नागा साधुओं को आप कुंभ के मेले में देख सकते हैं, वहां वे पुरुष नागा साधुओं के साथ शाही स्नान भी करती हैं, लेकिन महिलाओं का स्नान पुरुषों से अलग स्थान पर होता है।
महिला नागा साधु का जीवन मुश्किलों से भरा लेकिन बहुत ही साधारण होता है। वे तपस्या करती हैं, बिस्तर की बजाय जमीन पर ही सोती हैं, उनका भोजन बहुत ही साधारण होता है इसके अलावा ये महिलाएं सभी सुख-सुविधाओं को खुद से दूर रखती हैं। इन महिलाओं का पूरा जीवन केवल भगवान की भक्ति और साधना में ही गुजरता है। उनका यह जीवन एक तरीके से आध्यात्म से भरा हुआ है, यह जीवन उन्हें भौतिक सुखों से बहुत दूर ईश्वर की राह पर लेकर जाता है।
महिला नागा साधु बनना आसान बात नहीं हैं। इसके लिए खुद को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से तैयार करना पड़ता है। भक्ति का रास्ता पकड़ने के लिए अपने सभी पुराने रिश्तों को पूरी तरह भूलकर एक नई शुरुआत करना जरा भी आसान नहीं हैं, लेकिन इसी रास्ते पर चलकर महिला नागा साधुओं को आध्यात्म प्राप्त होता है। सभी चीजों को मिलाकर, महिला नागा साधुओं की जिंदगी एक सच्ची साधना और तपस्या का प्रतीक मानी गई है, जिसमें वे खुद को पूरी तरह से ईश्वर की साधना में लगा देती हैं।
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