धर्म

कर्ण के श्राद्ध पर श्रीकृष्ण के इन शब्दों ने हिला दी थी पूरी प्रजा…जिसे कलयुग का एक भी इंसान जो गया समझ तो धरती पर आ जाएगा स्वर्ग?

India News (इंडिया न्यूज), Karna Ka Shraddha: महाभारत के वीरों में जब भी नाम लिया जाता है, कर्ण का स्थान सदा सर्वोच्च रहता है। वे सूर्यपुत्र होने के साथ-साथ अपनी निडरता, दानशीलता, और अद्वितीय वीरता के लिए सदियों से पूजनीय रहे हैं। यद्यपि उन्होंने महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया, लेकिन उनकी महानता और पराक्रम की चर्चा उनके दुश्मन तक करते थे। कर्ण का जीवन जितना संघर्षपूर्ण था, उनकी मृत्यु भी उतनी ही घटनापूर्ण रही।

कर्ण के मानवीय गुणों की प्रशंसा स्वयं श्रीकृष्ण ने की थी, और उनकी मृत्यु के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए विधि-विधान से श्राद्ध भी किया गया था। आइए जानते हैं कि इस महान योद्धा की मृत्यु के बाद उनका श्राद्ध किसने और कैसे किया।

कर्ण का जन्म: सूर्यदेव का आशीर्वाद

कर्ण का जन्म अद्वितीय था। वह कुंती के पुत्र थे, जिन्हें सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। कुंती ने अपनी युवा अवस्था में ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए मंत्र के प्रभाव से सूर्यदेव का आह्वान किया था। सूर्य के तेज से गर्भधारण करने के बाद कुंती ने कर्ण को जन्म दिया, लेकिन लोक-लज्जा के भय से उन्होंने अपने पुत्र को एक टोकरी में रखकर नदी में बहा दिया। यह बालक सूत परिवार में पला-बढ़ा, जिससे उसे सूतपुत्र कर्ण के रूप में जाना गया। यद्यपि वह जन्म से क्षत्रिय थे, लेकिन उनकी जाति के कारण उन्हें कई अपमान सहने पड़े।

अपने इस एक गुनाह की वजह से दुर्योधन ने तुड़वा लिया था अपने शरीर का सबसे शक्तिशाली हिस्सा…सालों पहले मिला श्राप था इसका कारण?

दुर्योधन का साथ: कर्ण की मित्रता का प्रमाण

कर्ण ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनकी मित्रता का सच्चा उदाहरण दुर्योधन के साथ उनके संबंधों में देखने को मिला। महाभारत युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने कर्ण से पूछा कि वे इतने पराक्रमी होते हुए भी दुर्योधन का साथ क्यों दे रहे हैं? इस पर कर्ण ने उत्तर दिया, “दुर्योधन ने मुझे मेरी जाति नहीं, मेरी क्षमता देख कर मित्र बनाया। उसने मेरा सच्चा सम्मान किया, जब कोई और मेरे गुणों को नहीं देख सका। मैं उसे कभी धोखा नहीं दूंगा, चाहे पराजय या मृत्यु का सामना ही क्यों न करना पड़े।”

कर्ण का यह उत्तर सुनकर श्रीकृष्ण भी प्रभावित हुए और मुस्कुराए। यही कारण था कि कर्ण ने जीवन के अंतिम क्षण तक दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ा।

कर्ण की मृत्यु: तीन शापों का परिणाम

कर्ण की मृत्यु महाभारत युद्ध के 17वें दिन हुई, जो तीन शापों का परिणाम थी। पहला शाप उन्हें परशुराम जी से मिला था, जब कर्ण ने अपनी जाति छुपाकर उनसे शिक्षा प्राप्त की थी। दूसरा शाप धरती मां ने दिया था, जब कर्ण ने एक बछड़े को मारा था। तीसरा शाप गौ सेवक का था, जब अनजाने में कर्ण ने एक बछड़े की हत्या की थी।

मौत का ये समा होता है सबसे भयंकर…जब आत्मा को भी देनी पड़ती है अपनी परीक्षा?

अर्जुन से युद्ध के दौरान कर्ण के रथ का पहिया धरती में धंस गया, और जब वे उसे निकालने के लिए नीचे उतरे, तब अर्जुन ने उन पर तीर चला दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

कर्ण का श्राद्ध: भाईयों का कर्तव्य

कर्ण की मृत्यु के बाद, जब कुंती ने पांडवों को बताया कि कर्ण उनके सबसे बड़े भाई थे, तो युधिष्ठिर और अन्य पांडवों को बहुत दुख हुआ। महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने पांडवों से कहा कि वे कर्ण का श्राद्ध करें। युधिष्ठिर इस पर असमंजस में थे, क्योंकि कर्ण का पुत्र वृषकेतु अभी जीवित था। लेकिन श्रीकृष्ण ने कहा, “हे धर्मराज! आप साक्षात यमराज के अंश हैं। आपके द्वारा किए गए श्राद्ध से कर्ण की आत्मा को पितरों के साथ स्थान मिलेगा।”

श्रीकृष्ण ने यह भी कहा कि कर्ण सबसे बड़े भाई थे, और बड़े भाई पिता समान होते हैं। इसलिए युधिष्ठिर और उनके अन्य भाईयों ने विधि-विधान से कर्ण का श्राद्ध किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

अभिमन्यु और श्री कृष्ण के बीच क्या थी ऐसी दुश्मनी…जो पूर्व जन्म में कर डाली थी हत्या?

कलियुग में कर्ण की कथा से सीख

कर्ण के श्राद्ध से जुड़ी यह कथा कलियुग में भी प्रासंगिक है। श्रीकृष्ण ने यह बताया कि बड़े भाई का स्थान पिता के समान होता है और छोटे भाई-बहनों का कर्तव्य है कि वे अपने बड़े भाई का सम्मान करें। इसी प्रकार, बड़े भाई को भी छोटे भाई-बहनों के प्रति अपने दायित्व निभाने चाहिए।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि परिवार में आपसी रिश्ते और जिम्मेदारियां जीवन में अहम स्थान रखती हैं। जब हम इन रिश्तों को सम्मान और प्रेम से निभाते हैं, तो न केवल हमारा जीवन बेहतर होता है, बल्कि हमें धर्म और पुण्य का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

कर्ण की यह गाथा सदियों तक हमें वीरता, दानशीलता और रिश्तों की अहमियत की शिक्षा देती रहेगी।

मणिपुर की राजकन्या चित्रांगदा ने अर्जुन संग विवाह रचाने से पहले रख दी थी ये शर्त…कि पांडव वंश पर भी आ गई थी ऐसी बात?

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

Recent Posts

फेमस होने के चक्कर में क्लास रूम में ही कर डाली अनोखी शादी, मचा बवाल

India News(इंडिया न्यूज),MP News: आजकल रील बनाने का चलन इतना बढ़ गया है कि बच्चों से…

1 minute ago

बदल गए ट्रेन रिजर्वेशन के नियम…ट्रैवल करने से पहले जान लें सारे नए बदलाव, अब ऐसे होगी टिकट बुकिंग

Railway Reservation: संजय मनोचा ने स्पष्ट किया कि 120 दिनों के एआरपी के तहत 31…

6 minutes ago

CM नीतीश कुमार की यात्रा पर सियासी पारा हुआ हाई! विपक्ष ने उठाए सवाल

India News (इंडिया न्यूज), CM Nitish Kumar: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 में होने वाले…

7 minutes ago

Delhi News: सर्दियों में घूमने का शानदार मौका, DDA के इन पार्कों में सिर्फ 10 रुपये में करें सैर

India News (इंडिया न्यूज),Delhi News: दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने सर्दियों में परिवार संग घूमने…

8 minutes ago

अंतिम संस्कार के पहले मरे हुए इंसान की चलने लगी सांसे.. मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

India News(इंडिया न्यूज), Rajasthan news: राजस्थान के झुंझुनू में गुरुवार को आभूषण और जेवरात चोरी…

17 minutes ago