संतान सुख की कामना के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि और मंत्र

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है। घर-घर में मां अम्बे के नौ स्वरूपों की पूजा की जा रही है। कल नवरात्रि का पांचवा दिन है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा की पांचवे स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूजा-अराधना की जाती है। माता रानी के इस रूप को ये नाम भगवान कार्तिकेय के कारण मिला था। माता गौरी के पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद है। देवी मां के इस रूप द्वारा कार्तिकेय का जन्म हुआ था। जिस कारण उनके इस रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। नवरात्रि के 5वें दिन स्कंदमाता की पूजा-अराधना करने से संतान प्राप्ति में आ रही बाधा दूर हो जाती है।

संतान प्राप्ति के लिए मां स्कंदमाता की पूजा

मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है। मां भगवती का ये स्वरूप संतान प्राप्ति की मनोकामना को पूरा करता है। आदिशक्ति के इस स्वरूप की पूजा करने के दौरान भगवान कार्तिकेय का होना बहुत जरूरी होता है। मां के इस स्वरूप में मां अपने दो हाथों में कुमार कार्तिकेय को गोद लिए हुए हैं। स्कंदमाता अपने दो हाथों में कमल के फूल लिए हुए हैं। इसके साथ ही स्कन्दमाता की पूजा में धनुष बाण को अर्पित करने का विशेष महत्व है। मां के इस स्वरूप को सुहाग का सामन जैसे सिंदूर, लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, मेहंदी, बिंदी, लिपस्टिक और नेलपेंट आदि चढ़ाना चाहिए।

पूजा के समय करें इन मंत्र का उच्चारण 

मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा में लाल फूल, कुमकुम, चावल, फल और फूल आदि सामग्री को अर्पित करना चाहिए। स्कन्दमाता की पूजा के वक्त इन मंत्र का ध्यान से उच्चारण करें।

  • नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्। समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
  • या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
  • ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:॥
  • सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी

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