धर्म

कामाख्या देवी मंदिर में छुपे हैं ये पौराणिक रहस्य, जानकर रह जाएंगे हैरान

India News(इंडिया न्यूज), Kamakhya Devi Temple: माता कामाख्या देवी मंदिर असम के गुवाहाटी के निकट नीलांचल पर्वत पर स्थित है और यह हिंदू धर्म के 52 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर का विशेष महत्व है और यह तांत्रिक साधना और अघोरियों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की खास बातों में से कुछ इस प्रकार हैं:

1. योनि कुंड

मंदिर में देवी की कोई मूर्ति या तस्वीर नहीं है। यहाँ एक प्राकृतिक कुंड (योनि कुंड) है, जिसे हमेशा फूलों से ढका रहता है। इस कुंड को देवी कामाख्या के रूप में पूजा जाता है।

2. रजस्वला देवी

मंदिर की सबसे रहस्यमयी और प्रमुख विशेषता यह है कि मान्यता के अनुसार यहाँ देवी कामाख्या साल में एक बार रजस्वला होती हैं। यह घटना जून के महीने में होती है और इसे “अंबुवाची मेला” के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर के गर्भगृह को तीन दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है और चौथे दिन पुनः खोला जाता है।

3. अंबुवाची मेला

यह मेला साल में जून के महीने में आयोजित होता है और इसे देवी के रजस्वला होने के समय के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान हज़ारों भक्त, साधु-संन्यासी और तांत्रिक यहाँ इकट्ठा होते हैं। इसे तंत्र साधना का प्रमुख समय माना जाता है।

4. तांत्रिक और अघोरी साधना

कामाख्या मंदिर तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र है। यहाँ पर तांत्रिक और अघोरी साधना करते हैं और अपनी शक्तियों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की साधनाएँ करते हैं।

5. कामरूप-कामाख्या

कामाख्या मंदिर कामरूप जिले में स्थित है, जिसे कामरूप-कामाख्या कहा जाता है। यह स्थान तांत्रिक और सिद्ध साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

6. देवी सती का अंग

पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह वह स्थान है जहां देवी सती का योनि भाग गिरा था। इस कारण इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है और यहाँ देवी के इस रूप की पूजा की जाती है।

कामाख्या देवी मंदिर न केवल अपनी धार्मिक और तांत्रिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके रहस्यमयी और अनूठे पहलुओं के कारण भी विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहाँ पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और देवी की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।

मंदिर का नाम और महत्व

नामकरण की कथा: धर्म पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 भाग किए थे। जहां-जहां ये भाग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बने। इस स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था, इसलिए यहाँ पर योनि की पूजा की जाती है। यही कारण है कि मंदिर में माता की कोई मूर्ति नहीं है।

शक्तिपीठ का महत्व: यह स्थल 52 शक्तिपीठों में से एक है और अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। यहाँ की पूजा अर्चना और धार्मिक क्रियाकलाप अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

प्रमुख त्योहार और आयोजन

दुर्गा पूजा: इस अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा और आयोजन होते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।

पोहान बिया: यह एक विवाह संबंधी अनुष्ठान है जो मंदिर में आयोजित होता है।

दुर्गादेऊल और बसंती पूजा: यह वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है।

मदान देऊल: यह भी एक प्रमुख आयोजन है जो यहाँ किया जाता है।

अम्बुवासी मेला: यह सबसे महत्वपूर्ण मेला है जो जून के महीने में होता है। माना जाता है कि इस समय माता रजस्वला होती हैं, और मंदिर के पट 3 दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

मंदिर के पट 3 दिन क्यों बंद रहते हैं

रजस्वला देवी: 22 जून से 25 जून तक, कामाख्या देवी मंदिर के पट बंद रहते हैं। यह माना जाता है कि इन तीन दिनों में माता सती रजस्वला रहती हैं। इस दौरान पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है।

अम्बुवाची वस्‍त्र: इन तीन दिनों में मंदिर में एक सफेद कपड़ा रखा जाता है जो तीन दिनों में लाल रंग का हो जाता है। इस कपड़े को अम्बुवाची वस्‍त्र कहा जाता है और इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है।

माता कामाख्या देवी मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है और यह मंदिर अपनी रहस्यमयी और अनूठी परंपराओं के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है।

कामाख्या मंदिर का रहस्य

कामाख्या मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण रहस्य उसके गर्भगृह के बारे में है, जिसे योनिगृह (Yoni-Griha) के नाम से भी जाना जाता है। इस गर्भगृह में पूजा की जाती है और यहां एक रहस्यमय शक्ति का अनुभव होता है जो देवी कामाख्या के रूप में मानी जाती है। यह गर्भगृह एक ऐसी स्थानीय परंपरा का प्रतीक है जो महिलाओं के शक्ति और उनके जीवन के संस्कारों से जुड़ा हुआ है।

कामाख्या मंदिर में योनिपूजा का यह विशेष स्थान ब्रह्मांड के प्राकृतिक और पुरुषात्मक मिलन को संकेत करता है। इसके माध्यम से यह समझाया जाता है कि शक्ति और पुरुषत्व का संतुलन ब्रह्मांड के सृष्टि और संरचना के मूल्यवान तत्त्व हैं। इस गर्भगृह की महिमा को समझने के लिए, योनी पूजा और इसकी प्रथा के पीछे छिपे धार्मिक और दार्शनिक आधारों को समझना आवश्यक होता है।

योनी और शक्ति के प्रतीक के रूप में कामाख्या मंदिर का गर्भगृह एक ऐसा स्थल है जहां महिला की शक्ति और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझने का अवसर मिलता है। इस रहस्यमयी स्थान के माध्यम से मानवीय समाज में स्त्री के शक्ति और सम्मान की महत्वपूर्ण भूमिका को बढ़ावा दिया जाता है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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